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पांच दिन में नदी कटान ने ले ली दो किसानों की जान

भीरा थाना क्षेत्र के गांव जंगल नंबर सात में पांच दिनों के अंदर कटान ने दो किसानों की जान ले ली। एक किसान पहले ही जमीन कट जाने के कारण सदमे से मर चुका...

पांच दिन में नदी कटान ने ले ली दो किसानों की जान
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीMon, 10 Sep 2018 09:51 PM
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भीरा थाना क्षेत्र के गांव जंगल नंबर सात में पांच दिनों के अंदर कटान ने दो किसानों की जान ले ली। एक किसान पहले ही जमीन कट जाने के कारण सदमे से मर चुका है। दूसरे किसान ने सोमवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसकी जमीन नदी में कट गई है। ये हालात जिले में तब हैं जब मुख्यमंत्री हर जिले में आकर कटान का जायजा ले रहे हैं। इसके बावजूद इस गांव में अभी तक न तो कटान पीड़ितों की कोई मदद की गई है और न ही उनको कहीं बसाया गया है।भीरा थाना क्षेत्र के गांव जंगल नंबर सात में रहने वाले मंगतराम के पास तीन एकड़ जमीन थी। इस जमीन पर उन्होंने ढाई लाख रुपए का कर्ज ले रखा था।

ये कर्ज उन्होंने भूमि विकास बैंक से लिया था। पिछले कुछ दिनों से शारदा नदी इस गांव में कटान कर रही है। इसमें मंगतराम की भी पूरी जमीन कट गई। इससे किसान मंगतराम परेशान रहने लगा। घरवालों के मुताबिक सोमवार को उसने शीशम के पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कुछ देर बाद उसका शव लटकता हुआ देखा गया। घरवालों ने मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है। दूसरी तरफ इसी गांव के रहने वाले रविंद्र की जमीन भी शारदा नदी निकल गई थी। उसके पास भी करीब चार एकड़ जमीन थी। जमीन चली जाने के बाद रविंद्र अवसाद में आ गया। वह बंधे के किनारे रह रहा था। पांच दिन पहले सदमे से उसकी भी मौत हो गई। जिले में यह हालात तब है जब मुख्यमंत्री यहां हर 15 दिन बाद आते हैं और कटान पीड़ितों की मदद करते हैं। अधिकारियों को दिशा निर्देश दे रखे हैं कि वह कटान क्षेत्र में जाकर किसानों की मदद करें। लेकिन अफसर बिल्कुल संवेदनशील नहीं है। वह गांव की तरफ झांकने भी नहीं गए। यहां पिछले काफी दिनों से कटान हो रहा है। ज्यादातर किसानों की जमीन शारदा नदी निकल चुकी है। फिर भी यहां के किसानों को कहीं बसाया नही गया और न ही प्रशासन उनकी कोई मदद कर रहा है।

शायद इसी का नतीजा है कि अब तक इस गांव के दो किसानों की जान जा चुकी है।बाक्सविधायक सीएम के सामने उठा चुके दर्द-इस इलाके के विधायक रोमी साहनी का कहना है कि दोनों किसानों की मौत अफसोसजनक है। वह अपने स्तर से मदद कर रहे हैं और मदद दिलाने का भरोसा भी दिया है। साहनी का कहना है कि उनके इलाके के कटान पर प्रशासन ने कतई ध्यान नहीं दिया। जब गांव कटने लगा, तब तक बाढ़ खंड के लोग जागे नहीं। गांव में जमीन कटते वक्त काम शुरू हुआ जो कतई कारगर नहीं रहा। साहनी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के समय वह जंगल नंबर सात और छंगा टांडा के लोगों का दर्द सामने रख चुके हैं। वह लगातार इन लोगों के सम्पर्क में बने हुए हैं।

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