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गेहूं के निर्यात पर रोक से भी सरकारी खरीद में रफ्तार नहीं

जिले में गेहूं की खरीद परवान नहीं चढ़ सकी। गेहूं तैयार होने पर बाजार में गेहूं का रेट समर्थन मूल्य से ज्यादा रहा जिससे किसानों ने बाजार में अपना...

जिले में गेहूं की खरीद परवान नहीं चढ़ सकी। गेहूं तैयार होने पर बाजार में गेहूं का रेट समर्थन मूल्य से ज्यादा रहा जिससे किसानों ने बाजार में अपना...
1/ 3जिले में गेहूं की खरीद परवान नहीं चढ़ सकी। गेहूं तैयार होने पर बाजार में गेहूं का रेट समर्थन मूल्य से ज्यादा रहा जिससे किसानों ने बाजार में अपना...
जिले में गेहूं की खरीद परवान नहीं चढ़ सकी। गेहूं तैयार होने पर बाजार में गेहूं का रेट समर्थन मूल्य से ज्यादा रहा जिससे किसानों ने बाजार में अपना...
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हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीTue, 17 May 2022 01:21 AM
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लखीमपुर-खीरी, संवाददाता। जिले में गेहूं की खरीद परवान नहीं चढ़ सकी। गेहूं तैयार होने पर बाजार में गेहूं का रेट समर्थन मूल्य से ज्यादा रहा जिससे किसानों ने बाजार में अपना गेहूं बेच दिया। अब सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है। इससे आढ़तियों के यहां भी गेहूं का रेट अचानक गिर गया है। उधर किसानों के पास गेहूं बचा नहीं हैं। किसानों ने अपनी जरूरत भर का गेहूं रखा बाकी गेहूं बेच दिया। ऐसे में अब समर्थन मूल्य से कम बाजार में तो रेट है लेकिन क्रय केन्द्रों पर अब भी किसान गेहूं लेकर नहीं आ रहे हैं।

राजापुर मंडी: बाजार में गिरा रेट, क्रय केन्द्रों पर फिर भी सन्नाटा

गेहूं के निर्यात पर रोक लगने के बाद शहर की राजापुर मंडी में आढ़तियों के यहां गेहूं का रेट अचानक कम हो गया है। गेहूं खरीद एजेंसियों को उम्मीद है कि अब किसान क्रय केन्द्र पर गेहूं लेकर आएंगे लेकिन किसान फिर भी नहीं आ रहे हैं। कारण है कि ज्यादातर किसान अपना गेहूं बेच चुके हैं। अब किसानों के पास गेहूं बचा नहीं है। ऐसे में क्रय केन्द्रों पर लेकर कैसे जाएं। जिले में 133 क्रय केन्द्र खोले गए लेकिन गेहूं की खरीद एक लाख 88 हजार एमटी के सापेक्ष छह सौ एमटी के आसपास ही हुई है।

महज 45 दिन में 15 क्विंटल ही हो सकी खरीद

मोहम्मदी-खीरी। शासन द्वारा गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के बाद खुली बाजार में ₹100 की मंदी आ गई। जिसके बाद भी सरकारी दर और खुली बाजार में समानता होने पर केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है। गल्ला मंडी में गेहूं की सरकारी खरीद को लेकर 17 क्रय केंद्र खोले गए थे जिन पर 45 दिनों में महज 15 क्विंटल गेहूं की खरीद हो सकी है। खुली बाजार में गेहूं की कीमतें आसमान छूने पर सरकार ने निर्यात पर रोक लगा दी। जिसके बावजूद भी किसान अपनी फसल सरकारी केंद्रों पर बेचने को तैयार नहीं है। नाम न छापने पर केंद्र प्रभारियों ने बताया सरकार द्वारा निर्धारित खर्चे की धनराशि कम होने के चलते अधिक मूल्य चुकाना पड़ता है। जिससे भारी नुकसान होता है। अधिकांश किसानों ने अपनी फसल बिक्री कर खरीफ की फसल लगाने की तैयारी में जुट चुके हैं।

उम्मीद छोड़ चुके हैं खरीद केंद्र

चपरतला-खीरी। मैगलगंज मंडी समिति में पिछले वर्ष लगभग एक लाख क्विंटल गेहूं की खरीद हुई थी। इस वर्ष आठ केंद्र खोले गए थे लेकिन दो क्रय केंद्रों पर मात्र 800 क्विंटल की खरीद हुई। इसका कारण बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से मंहगा रहा। आज का बाजार भाव 2000 रुपए प्रति क्विंटल बाजार का है लेकिन किसानों के पास गेहूं लगभग 90 से 95 फीसदी बिक चुका है ऐसे में सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं नहीं जा रहा है। सचिव नरेश रस्तोगी ने बताया कि हम लोग गांव गांव जाकर किसानों से संपर्क कर रहे हैं गेहूं लाने के लिए आग्रह कर रहे हैं लेकिन किसान जवाब देता है कि हमारे पास गेहूं अब नहीं है, इसलिए अब क्रय केंद्रों पर गेहूं की आवक आना बहुत मुश्किल है।

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