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जमीन काट रही घाघरा, तीन घर निशाने पर

घाघरा नदी में जलस्तर कम होने के बाद कटान तेज कर दिया है। नदी कृषि योग्य भूमि और लहलहाती फसलों को काट रही है। बाढ़ खंड बचाव के नाम पर खाना पूर्ति कर...

घाघरा नदी में जलस्तर कम होने के बाद कटान तेज कर दिया है। नदी कृषि योग्य भूमि और लहलहाती फसलों को काट रही है। बाढ़ खंड बचाव के नाम पर खाना पूर्ति कर...
1/ 2घाघरा नदी में जलस्तर कम होने के बाद कटान तेज कर दिया है। नदी कृषि योग्य भूमि और लहलहाती फसलों को काट रही है। बाढ़ खंड बचाव के नाम पर खाना पूर्ति कर...
घाघरा नदी में जलस्तर कम होने के बाद कटान तेज कर दिया है। नदी कृषि योग्य भूमि और लहलहाती फसलों को काट रही है। बाढ़ खंड बचाव के नाम पर खाना पूर्ति कर...
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हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीSat, 31 Jul 2021 11:50 PM
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धौरहरा खीरी। घाघरा नदी में जलस्तर कम होने के बाद कटान तेज कर दिया है। नदी कृषि योग्य भूमि और लहलहाती फसलों को काट रही है। बाढ़ खंड बचाव के नाम पर खाना पूर्ति कर रहा है।

रमियाबेहड़ क्षेत्र के गोड़ियाना गांव में घाघरा नदी का बढ़ रहा कटान गोड़ियाना के उमेश, रामब्रजेश, धीरज का घर कट रहा है। अब तक गांव गोड़ियाना के करीब आठ से ज्यादा घर घाघरा नदी में समा गए हैं। कटान पीड़ित रास्ते की जगह पर अपना आशियाना बना रहे है। पूरे गांव में दहशत बनी हुई है। बाढ़ खंड के बचाव कार्य से कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। गांव के लोग बता रहें हैं। बाढ़ खण्ड के अधिकारी गांव तक आते ही नही है। केवल ठेकेदारों के सहारे है बचाव कार्य। ठेकेदार केवल बालू बोरियों में भरवाकर लगवा रहें हैं। जिससे कटान रुकने वाला नहीं है। गोड़ियाना गांव के रामनिवास बताते हैं। नदी में जल स्तर कम होने से कटान तेज हो गया है। बाढ़ खण्ड केवल बोरियों में बालू भरवाकर रहें है। कटान नीचे से हो रहा है। गोड़ियाना गांव के लोग अपने घर को तोड़ रहे हैं और मलबा सुरक्षित स्थानों पर भेज रहे हैं।

बारिश से बने रेनकट से तटबंध को आया खतरा

लगातार हुई बरसात से तटबंध में बड़े-बड़े रेनकट बन गए हैं। इससे तटबंध को खतरा बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि अगर तटबंध को सही न कराया गया और तटबंध पर पानी का दबाव बढ़ा तो तटबंध फट सकता है। सिंचाई विभाग इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।

फूलबेहड़ क्षेत्र में शारदा नदी का पानी रोकने के लिए दशकों पहले तटबंध का निर्माण कराया गया था।अब यह बांध कई जगह कमजोर है। बांध में तमाम जगह बडे़ बड़े रेनकट बन गये हैं। जिससे राहगीरों को भी दिक्कतें हो रही हैं। काफी दिनों से बने रेनकटों को दुरुस्त नहीं कराया गया है। ग्रामीणों का कहना है जब बाढ़ का पानी बांध पर दबाव करेगा तब खतरा पैदा हो सकता है। वैसे भी सिंचाई विभाग रेनकटों को दुरुस्त कराने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करता है। अगर मजबूत मिट्टी से रेनकटों को भरवा दिया जाए तो शायद हर बारिश में न कटें। लेकिन जब बाढ़ आती है तब विभाग आनन फानन काम कराता है जिससे काम सुचारू रुप से नहीं हो पाता है।अगर रेनकटों को दुरुस्त न कराया गया तो बाढ़ के समय तटबंध को खतरा पैदा हो सकता है।

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