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गांधी जी ने की थी सभा, लोगों ने दिया था चंदा

जिले से भी गांधी जी का करीबी नाता रहा है। दो नवंबर 1929 को हरिजन उत्थान के संबंध में धन संग्रह के लिए गांधीजी खीरी जिले में आए थे। यहां लोगों ने...

जिले से भी गांधी जी का करीबी नाता रहा है। दो नवंबर 1929 को हरिजन उत्थान के संबंध में धन संग्रह के लिए गांधीजी खीरी जिले में आए थे।   यहां लोगों ने...
1/ 3जिले से भी गांधी जी का करीबी नाता रहा है। दो नवंबर 1929 को हरिजन उत्थान के संबंध में धन संग्रह के लिए गांधीजी खीरी जिले में आए थे। यहां लोगों ने...
जिले से भी गांधी जी का करीबी नाता रहा है। दो नवंबर 1929 को हरिजन उत्थान के संबंध में धन संग्रह के लिए गांधीजी खीरी जिले में आए थे।   यहां लोगों ने...
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हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीMon, 15 Aug 2022 12:52 AM
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जिले से भी गांधी जी का करीबी नाता रहा है। दो नवंबर 1929 को हरिजन उत्थान के संबंध में धन संग्रह के लिए गांधीजी खीरी जिले में आए थे। यहां लोगों ने गांधी जी को चंदा इकट्ठे कर दान दिया था। गांधी जी की सभा पुलिस लाइन में हुई थी। देश को जब आजादी नहीं मिली थी, तब तरह-तरह के आंदोलन चल रहे थे।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार के लोग बताते हैं कि सत्याग्रह के पहले (1929 में) महात्मा गांधी लखीमपुर आए और जिले के लोगों को संबोधित करके एकजुट किया। पुलिस लाइन मैदान पर महात्मा गांधी की पहली जनसभा हुई। जिसमें उनके साथ कस्तूरबा गांधी, मीरा बेन, आचार्य कृपलानी, विद्यावती, प्यारे लाल तथा कांग्रेस के अन्य नेता भी थे। गांधी जी को सुनने के लिए पूरे जिले की जनता उस कार्यक्रम में उमड़ी थी। गांधी जी ने सत्याग्रह के लिए योजना बनाते हुए जिलेवासियों से कहा था कि कानून टूटा तो सभी टूटेंगे क्योंकि समस्त कानूनों का मूल एक ही है। मैदान में उस समय पैर रखने की भी जगह नहीं थी।

खीरी जिले की जनता ने उन्हें 3146 रुपए पांच आने और 3 पैसे की थैली भेंट की। वह अधिवक्ता सीताराम दत्ता के घर लखीमपुर के जोड़ी बंगला मोहल्ले में उनकी कोठी में ठहरे थे। उन्होंने धर्मसभा इंटर कॉलेज के पास बने मंदिर के चबूतरे पर थोड़ी देर ठहर कर यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आंदोलन के प्रचार के लिए प्रेरित भी किया। 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में लखीमपुर से बाबू खुशवक्त रॉय और पंडित बंशीधर मिश्र ने इसमें भाग लिया। जिले में आंदोलन की शुरुआत 1920 में विलोबी हत्याकांड के बाद हुई। इस समय जिले में बलभद्र प्रसाद खद्दर धारी और सीताराम दत्ता दो ही व्यक्ति आंदोलन के सूत्रधार थे। गांधी जी जब लखीमपुर आए तो वे सीताराम दत्ता के ही घर रुकते थे।

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