यूपी में पहली बार जंगल के बीच बसे लोगों का बदलेगा ठिकाना
उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी जंगल के बीच बसे गांव का ठिकाना बदलने की तैयारी है। पुर्नस्थापना की यह कवायद दुधवा टाइगर रिजर्व के कोर जोन में बसे...

लखीमपुर, संवाददाता। उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी जंगल के बीच बसे गांव का ठिकाना बदलने की तैयारी है। पुर्नस्थापना की यह कवायद दुधवा टाइगर रिजर्व के कोर जोन में बसे भरतापुर गांव में की जाएगी। इसके लिए सहमति बन गई है।
तमाम गांव जंगल की गोद में बसे हैं। टाइगर रिजर्व बनने के बाद इन गांवों पर बाघ और तेंदुओं का खतरा मंडराता रहा है। गांव के लोगों की जंगल पर निर्भरता भी कम नहीं हो रही। ऐसे में वन विभाग इन गांवों के लोगों को हटाने की बजाय उनकी पुर्नस्थापना की कवायद में लगा है। पहली सफलता कतर्निया घाट सेंच्युरी में बसे भरतापुर में मिलती दिख रही है। दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक संजय पाठक ने बताया कि यह गांव गेरुआ नदी के किनारे है और बीच जंगल में है। गांव वाले गेरुआ नदी पारकर जंगल के बीच से निकलते हैं। जंगल के बीच में होने की वजह से गांव वालों को सुविधाएं भी नहीं मिल पातीं। इस वजह से गांव को कहीं और बसाने की तैयारी की गई है। उन्होंने बताया कि इसमें सफलता मिल रही है। कतर्निया घाट के डीएफओ आशीष बधावन बताते हैं कि योजना के तहत गांव के हर बालिग को 15 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। गांव में 260 लोग रहते हैं। इनमें से 238 लोग सहमति दे चुके हैं। इनकी पुर्नस्थापना के लिए बजट की मांग की गई है। बधावन बताते हैं कि इससे पहले राजस्थान के रणथंबौर टाइगर रिजर्व में भी यह सफल प्रयोग हो चुका है। अब यूपी के टाइगर रिजर्व में पहली बार यह होने जा रहा है। डीएफओ बधावन ने बताया कि गांव की पुर्नस्थापना के लिए दो विकल्प होते हैं। इनमें से एक तो वह विकल्प है, जिस पर काम किया जा रहा है और दूसरा यह है कि वन विभाग इनको अलग से जमीन व आवास दे। विभाग के पास जंगल के बाहर क्षेत्र की जमीन नहीं है। इस वजह से इन सभी को मुआवजा देकर बसने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
