लखीमपुर खीरी। राजापुर और पिपरिया गांव के किसान पुराने मुआवजे पर अपनी जमीन आवास विकास को देने के लिए तैयार नहीं है। किसानों के विरोध की वजह से आवास विकास के अधिग्रहण में पेंच फंस गया है। किसान अपनी जमीन देने के लिए नया मुआवजा मांग रहे हैं।
राजापुर और पिपरिया गांव में किसानों की 300 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है। यहां के किसान अपनी जमीन देना नहीं चाहते थे। इसके लिए वह अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे। लेकिन जब बाद में प्रशासन ने दखल दी और किसानों की आपत्ति का सुनवाई शुरू हुई तो किसान अपनी जमीन देने को तैयार हो गए। लेकिन मुआवजे पर पेंच फंस गया है। आवास विकास किसानों को 17 रुपए वर्ग फिट के हिसाब से मुआवजा दे रहा है। लेकिन किसान नए रेट पर अपनी जमीन का मुआवजा मांग रहे हैं। इसी विरोध का असर उस समय देखने को मिला जब आवास विकास ने मुआवजा देने के लिए राजापुर में कैंप लगाया। कैम्प में कोई किसान नहीं पहुंचा। बल्कि वह विरोध करने लगे। किसानों के विरोध पर आवास विकास को अपना कैंप हटाना पड़ा।
10-12 किसान ले चुके मुआवजा
राजापुर और पिपरिया गांव के 10-12 ऐसे किसान हैं जो अपना मुआवजा ले चुके हैं। वह मुआवजा लेने के लिए लखनऊ गए थे। तब आवास विकास को लगा कि किसान अपनी जमीन देना चाहते हैं और उनको लखनऊ की भागदौड़ करनी पड़ रही है। शायद इसी वजह से आवास विकास ने अपना कैंप राजापुर लगाया था। ताकि कैंप में किसानों से बात हो सके और उनका मुआवजा दिया जा सके। क्योंकि किसानों की तहसील भी लखीमपुर है। लेकिन कैंप में कोई किसान नहीं पहुंचा। उल्टा आवास विकास को विरोध का सामना करना पड़ा।
नया मुआवजा मिले तो ज्यादातर किसान जमीन देने को तैयार
किसानों का कहना है कि आवास विकास ने करीब 5 साल पहले उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया था। लेकिन उनकी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। फिर उनको पुराना रेट क्यों दिया जा रहा है। आवास विकास उनसे आज जमीन ले रहा है तो मुआवजा भी आज का दे। अगर आवास विकास। ऐसा करता है तो ज्यादातर किसान अपनी जमीन देने पर विचार कर सकते हैं। किसान पुराने रेट पर कभी भी आवाज विकास को जमीन नहीं देंगे।
हमने कैंप लगाकर किसानों की आपत्तियां ली हैं। जो मुआवजा तय हुआ है, उसी पर सहमति बनी थी। आगे का निर्णय शासन को लेना है।
डॉ. अरुण कुमार सिंह, एसडीएम सदर