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सामने से निकल गया सीएम को काफिला, सीने में दर्द दबाए देखते रहे बाढ़ पीड़ित

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला शनिवार को जिस रोड से गुजरा, उसके किनारे बाढ़ पीड़ितों के मकान हैं। पुलिस ने डंडे फटकार कर बाढ़ पीड़ितों को घरों में कैद कर...

सामने से निकल गया सीएम को काफिला, सीने में दर्द दबाए देखते रहे बाढ़ पीड़ित
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीSun, 05 Aug 2018 01:09 AM
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला शनिवार को जिस रोड से गुजरा, उसके किनारे बाढ़ पीड़ितों के मकान हैं। पुलिस ने डंडे फटकार कर बाढ़ पीड़ितों को घरों में कैद कर दिया। बाढ़ पीड़ित सीएम के काफिले की धूल का गुबार देखते रह गए।शारदानगर में जिस जगह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर उतरा, उसी से चंद कदमों की दूरी पर बाढ़ पीड़ितों का पूरा बसेरा है। शारदानगर बैराज के आगे सिंचाई विभाग की सड़क के किनारे ये बाढ़ पीड़ित 12 सालों से रह रहे हैं। सीएम आए तो इन बाढ़ पीड़ितों के दिल में उम्मीदें उठीं। पर ये उम्मीद पुलिस और प्रशासन ने चंद मिनटों में खत्म कर दी। सीएम के काफिले के रास्ते में गंगोलिया गांव से उजड़े बाढ़ पीड़ितों के मकान हैं। इनको आज तक कोई मदद नहीं मिली।

सीएम के जाने तक प्रशासन ने इन लोगों को सुरक्षा और प्रोटोकॉल के नाम पर घरों में कैद रखा। सीएम गए, तभी ये लोग निकल सके। यहां रह रहे भूरे सिंह, भल्लर राम ने बताया कि जब कोई वीआईपी आता है तो हम लोगों को पुलिस ऐसे ही फटकारकर अंदर कर देती है। अगर हम मनुहार करें तो सिंचाई विभाग के अफसर उजाड़ने की धमकी देते हैं। बाक्स15 साल पहले का दर्द कायम-शारदानगर के रोड किनारे रह रहे लोगों ने बताया कि पहले वे लोग गंगोलिया गांव में रहते थे। करीब 15 साल पहले गांव में शारदा की बाढ़ आई। तबाही के बाद वे लोग गांव छोड़ने लगे। उनका घर-मकान सब कट गया। मजबूरी में परिवार लेकर शारदानगर आ गए। अब यहां फुटपाथ पर उनका बसेरा है। छप्पर के बने मकान हैं। एक पीढ़ी यहीं सड़क किनारे जवान हो गई और यहीं बूढ़ी भी। सीएम आए तो लगा कि अफसर उनको मिलने देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।बाक्सशादियां तक नहीं हो रही-कोई 20 बीघे का जोतकार था तो किसी के पास ट्रैक्टर था। शारदा ने ऐसी तबाही मचाई कि सड़क किनारे जिंदगी बसर करने लगे। माया देवी का कहना है कि हमारे यहां तो कोई जल्दी शादी नहीं करता। शादी करने वाले पूछते हैं कि जमीन कितनी है, मकान कहां है? हम लोग क्या बताएं कि हम फुटपाथ के वाशिंदे हैं।

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