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पारसनाथ मन्दिर में रोज पूजन के लिए आते हैं अश्वत्थामा

लखीमपुर, सीतापुर व हरदोई जिले की सीमा पर प्रवाहित उत्तरवाहिनी गोमती नदी के तट पर स्थित प्राचीन पारसनाथ शिव मंदिर आस्था का प्रतीक...

पारसनाथ मन्दिर में रोज पूजन के लिए आते हैं अश्वत्थामा
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीSun, 21 Jul 2019 10:07 PM
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लखीमपुर, सीतापुर व हरदोई जिले की सीमा पर प्रवाहित उत्तरवाहिनी गोमती नदी के तट पर स्थित प्राचीन पारसनाथ शिव मंदिर आस्था का प्रतीक है। मान्यता है कि इस मंदिर में प्रतिदिन शिवभक्त अश्वत्थामा पूजा अर्चना व जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। सुबह मंदिर के कपाट खुलने पर ताजे फूल व बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़े हुए मिलते हैं।

मैगलगंज कस्बे से 6 किलोमीटर दक्षिण की तरफ सीतापुर, लखीमपुर व हरदोई जनपद की सीमा पर पतित पावन उत्तरवाहिनी आदि गंगा गोमती नदी के तट पर पारसनाथ शिव मंदिर स्थापित है। यहां शिवलिंग की स्थापना के बारे में बताया जाता है कि यहां पर ऋषि पाराशर ने सैकड़ों वर्षों तक घोर तपस्या की थी, तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि पाराशर को साक्षात दर्शन दिए थे। इसके बाद से इस मंदिर को पारसनाथ मंदिर कहा जाने लगा। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि प्रतिदिन रात 12 बजे के बाद शिवलिंग आदि की साफ सफाई कर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं लेकिन जब पुजारी द्वारा सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो शिवलिंग पर ताजे बेलपत्र व फूल चढ़े हुए मिलते हैं। मान्यता है कि शिवभक्त अश्वत्थामा प्रतिदिन पारसनाथ मंदिर ने आकर शिवलिंग का जलाभिषेक कर बेलपत्र, पुष्प आदि अर्पित कर पूजा अर्चना करते हैं।

इसके अलावा इस मंदिर के बारे में एक और भी मान्यता प्रचलित है। बताते हैं कि पारसनाथ शिव मंदिर में बेशकीमती हीरे जवाहरात आदि आभूषणों का खजाना मंदिर के गर्भगृह में मौजूद है जिसकी रक्षा भगवान शिव के गण बिच्छू सर्प आदि करते हैं। मान्यता है कि मुगलकालीन समय में मोहम्मद गजनवी ने इस मंदिर के गर्भगृह में मौजूद सोने चांदी के खजाने को लूटने की नियत से मंदिर पर आक्रमण कर दिया था, लेकिन भगवान शिव के गण कहे जाने वाले सैकड़ों जहरीले सर्प वा बिच्छू आदि ने मोहम्मद गजनवी की सेना को मौत की नींद सुला दिया था।

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