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आदिवासियों ने मकरसंक्रांति पर मनाया नववर्ष

वैसे तो नया साल एक जनवरी से होता है, लेकिन भारत नेपाल सीमा के गांवों में बसे आदिवासियों का न्यू इयर मकर संक्रांति से शुरू होता है। इस दिन आदिवासी लड़कियां परम्परागत पोशाक पहनकर उतरती हैं। फिर नाचती...

आदिवासियों ने मकरसंक्रांति पर मनाया नववर्ष
हिन्दुस्तान टीम,लखीमपुरखीरीTue, 15 Jan 2019 05:31 PM
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वैसे तो नया साल एक जनवरी से होता है, लेकिन भारत नेपाल सीमा के गांवों में बसे आदिवासियों का न्यू इयर मकर संक्रांति से शुरू होता है। इस दिन आदिवासी लड़कियां परम्परागत पोशाक पहनकर उतरती हैं। फिर नाचती गाती हैं।

थारू आदिवासियों के न्यू इयर पर थारू गांव चंदनचौकी में आयोजन हुआ। एकीकृत जनजाति विकास परियोजना में आयोजन थारू माघ महोत्सव में थारू बालाओं ने अपनी खूबसूरती का नजारा पेश किया। पड़ोसी देश नेपाल के कलाकारों ने समां बांधा। एकीकृत जनजाति विकास परियोजना परिसर में जनकल्याण सेवा समिति के तत्वाधान में थारु माघ महोत्सव का आयोजन किया गा था।

मुख्य अतिथि जनजाति एवं लोक कला संस्कृति संस्थान उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने बताया कि इस समुदाय में मकर सक्रांति के दिन से ही नए साल की शुरुआत मानी जाती है। कहा कि आप सबको इस बात पर विचार करके बहुत गर्व होगा कि दुनिया की बहुत कम जनजातियों में वर्तमान में अपने समुदाय के नववर्ष मनाने की परंपरा जीवित है।

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