समय रहते नहीं बना ड्रेनेज सिस्टम, अब हुआ जटिल
Kushinagar News - कुशीनगर के स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज में जलनिकासी की समस्या बढ़ती जा रही है। अरबों रुपये खर्च करने के बावजूद अस्पताल में उचित ड्रेनेज सिस्टम नहीं है, जिससे गंदा पानी फैलता है और मरीजों को कठिनाइयों...

कुशीनगर। संयुक्त जिला चिकित्सालय से संबद्ध स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज में जलनिकासी न होने की समस्या जटिल होती जा रही है। क्योंकि अरबों रुपये खर्च करके बने इस अस्पताल में कार्यदायी संस्थाओं ने ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया, जिसके चलते गंदा पानी अस्पताल परिसर में फैल जा रहा है, जिसकी दुर्गंध से मरीजों और यहां आने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जोर से बारिश हो जाने पर दुर्गति और बढ़ जाती है। मेडिकल कॉलेज में जलनिकासी न होने की समस्या सिर्फ बरसात की नहीं, अब सामान्य दिनों में भी उत्पन्न होने लगी है। अभी गुरुवार को ही मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग के पास नालियों का दूषित पानी सड़क पर फैल गया था, जिसकी दुर्गंध की वजह से आने-जाने वाले लोग परेशान थे।
इस अस्पताल के भवनों का निर्माण तीन चरणों में तैयार हुआ है। पहले चरण में वर्ष 2007-08 में जिला अस्पताल की बिल्डिंग बनी थी। लंबी-चौड़ी यह बिल्डिंग बन तो गई, लेकिन उस समय, जब यहां भरपूर खाली जमीन थी, तब भी कार्यदायी संस्था ने ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया, ताकि पूरे अस्पताल का पानी बाहर निकल सके और भविष्य में कभी इस अस्पताल में जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो। इस भवन में जनरल वार्ड से लगायत एनआरसी, ऑपरेशन थिएटर, सर्जिकल वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड, एसएनसीयू, केएमसीयू, डायलिसिस यूनिट, एंटी रैबीज से संबंधित ओपीडी, फिजियोथेरेपी, औषधि भंडार, टीबी सेंटर, एआरटी सेंटर, सीटी स्कैन कक्ष, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी विभाग, जहां एक्सरे एवं अल्ट्रासाउंड होता है, पीआईसीयू और दवा काउंटर है। बारिश के बाद जलभराव हो जाने पर इतने महत्वपूर्ण स्थल पर लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूसरे चरण में वर्ष 2018-19 के आस-पास करोड़ों रुपये खर्च कर इस अस्पताल का एमसीएच विंग बना। निर्माण कराने वाली कार्यदायी संस्था ने यह पांच मंजीली बिल्डिंग भी बनवा दी, लेकिन जलनिकासी की व्यवस्था का जरा भी ध्यान नहीं रखा। नतीजतन सबसे अधिक जलभराव की समस्या यहीं रहती है। एमसीएच विंग में महिलाओं की सभी प्रकार की बीमारियों के अलावा सामान्य एवं ऑपरेशन से प्रसव कराया जाता है। इन्हें भर्ती करने के लिए वार्ड इसी बहुमंजीली इमारत में बना है। इसके अलावा आईसीयू, पीपीटीसीटी सहित अन्य प्रकार की चिकित्सकीय व्यवस्था है। इसी बिल्डिंग में पर्ची भी बनती है, जिससे मरीज और उनके तीमारदार सबसे पहले यहीं आते हैं। जलभराव की स्थिति में आने-जाने में उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है। अब बात करते हैं मेडिकल कॉलेज की नई बिल्डिंग की, जिसे करीब एक साल पहले कार्यदायी संस्था ने हैंडओवर किया था। यहां कार्यदायी संस्था ने तीन-तीन बहुमंजीली इमारतें खड़ी कीं, लेकिन ऐसा ड्रेनेज सिस्टम तैयार नहीं किया, जिससे इस अस्पताल के परिसर में होने वाली जलभराव की समस्या से स्थायी तौर पर निजात मिल सके। पुराने भवनों के परिसर की बात तो दूर, इसी बिल्डिंग से निकलने वाला गंदा पानी नालियों के ओवरफ्लो होकर बहने के कारण परिसर में फैल जा रहा है। गुरुवार को नालियों का गंदा पानी इस अस्पताल के परिसर में फैल जाने के कारण लोग काफी परेशान थे। लोगों का कहना है कि जब बारिश नहीं हो रही, तब यह हाल है। बारिश होने के बाद तो स्थिति और कष्टदायक हो जाएगी। अस्पताल परिसर में जलनिकासी का कोई प्रबंध नहीं है। यह समस्या बहुत पहले से है। अस्पताल के भवनों का निर्माण कराने वाली कार्यदायी संस्थाओं ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया, जो अब बारिश होने के बाद जलभराव हो जाने से काफी जटिल हो जाती है। हम सब लोग परेशान रहते हैं। मेडिकल कॉलेज का पानी बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है। इस समस्या से मैंने उच्चाधिकारियों सहित माननीय मुख्यमंत्री से अवगत करा दिया है। डॉ. आरके शाही, प्राचार्य, स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज
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