कोरोना संकटकाल के उपकरण बन रहे मरीजों के जीवन का आधार
Kushinagar News - कोरोना महामारी के दौरान कुशीनगर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जो संसाधन उपलब्ध कराए गए, वे आज मरीजों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एल-2 अस्पताल, ऑक्सीजन प्लांट और कंसंट्रेटर जैसी सुविधाएं...

कुशीनगर। कोरोना महामारी के दौरान मची तबाही के बीच स्वास्थ्य सेवा से संबंधित जो संसाधन शासन-प्रशासन एवं राजनीतिक व्यक्तियों की तरफ से उपलब्ध कराए गए, वे आज जिले में मरीजों के जीवन का आधार बन गए हैं। चाहे वह कोरोना हॉस्पिटल के रूप में खुला एल-2 हॉस्पिटल हो या ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर या अन्य संसाधन। खासकर, जिला अस्पताल के लिए उपलब्ध कराए गए संसाधन आज मेडिकल कॉलेज में आने वाले लोगों की चिकित्सा में मददगार बन रहे हैं।
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एल-2 हॉस्पिटल की उपयोगिता-
बात शुरू करते हैं एल-टू हॉस्पिटल से। कोरोना महामारी के दौरान जिला अस्पताल परिसर में बना पांच मंजीला एल-टू हॉस्पिटल सबसे बड़ा अस्पताल था। उसी समय इस भवन में पहली बार मरीजों का इलाज शुरू किया गया। मौजूदा समय में इसे एमसीएच विंग के रूप में संचालित किया जा रहा है। यहां महिलाओं का सामान्य एवं सर्जरी के माध्यम से प्रसव होता है। इसमें छह डॉक्टरों की तैनाती के बाद संस्थागत प्रसव के मामले में यह मंडल का सबसे अधिक संस्थागत प्रसव वाला अस्पताल माना जा रहा है। इसके अलावा यहां मानसिक रोग, पर्ची काउंटर और गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू का संचालन किया जा रहा है। कोविड काल में यहां करीब 50 वेंटीलेटर उपलब्ध कराए गए थे, जिनका उपयोग कर गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू संचालित किया जा रहा है। मौजूदा समय में 21 वेंटीलेटर आईसीयू में लगे हैं।
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105 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध-
कोरोना संकटकाल के दौरान शासन-प्रशासन, पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह सहित कई लोगों की तरफ से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए थे। चूंकि, कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की जबरदस्त किल्लत थी। बहुत से लोगों ने समय पर ऑक्सीजन न मिलने की वजह से दम तोड़ दिया था। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी उपलब्ध कराए गए थे। वर्तमान में यहां के मेडिकल कॉलेज में 105 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं।
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कोरोना महामारी के समय लगे ऑक्सीजन प्लांट बने जीवनदायी-
कोरोना संकटकाल के समय इस महामारी से लोगों की हो रही मौतों को देखते हुए शासन और जनप्रतिनिधियों ने काफी गंभीरता दिखाई थी। शासन के अलावा तत्कालीन सदर विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य, पडरौना नगरपालिका के चेयरमैन विनय जायसवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के प्रयास से जिला अस्पताल में चार ऑक्सीजन प्लांट लगे थे। इनमें विधायकनिधि से लगे ऑक्सीजन प्लांट में आग लगने से जल गया। उसे स्वास्थ्य विभाग ने अब तक ठीक नहीं कराया, लेकिन बाकी तीन क्रियाशील हैं। उनसे अस्पताल के जनरल वार्ड, एसएनसीयू, पीआईसीयू, इमरजेंसी वार्ड सहित सभी वार्डों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। आरटीपीसीआर लैब भी सभी संसाधनों से सुसज्जित है। हालांकि, इसकी अभी कोई उपयोगिता नहीं है।
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कोरोना महामारी के दौरान हुई जनहानि को देखते हुए हमारे अस्पताल को जो भी संसाधन मिले, उनका भरपूर सदुपयोग किया जा रहा है। एल-2 में गायनी के छह डॉक्टरों से युक्त एमसीएच विंग खोल दिया गया, जिससे यहां सामान्य एवं सर्जरी से प्रसव हो रहा है। मिले वेंटीलेटर से 21 बेड का आईसीयू संचालित किया जा रहा है। कोरोना संकटकाल में लगे तीन ऑक्सीजन प्लांट मरीजों को प्राणवायु दे रहे हैं। 105 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं। शासन के निर्देश पर समय-समय पर मॉकड्रिल कर इन्हें उपयोग के लिए हमेशा एक्टिव रखा जाता है।
डॉ. आरके शाही, प्राचार्य, स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज
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जिले के अन्य अस्पतालों में भी बढ़े संसाधन-
कोरोना संकटकाल के दौरान पडरौना नगरपालिका चेयरमैन की तरफ से एक और ऑक्सीजन प्लांट लगवाया गया था। यह प्लांट पडरौना शहर के पुरुष एवं नेत्र चिकित्सालय में लगाया गया था। हालांकि, इस अस्पताल में ऑक्सीजन की इतनी खपत नहीं है और न ही अलग से इसके लिए जेनरेटर का प्रबंध है। इसलिए यह उपयोग में नहीं रहता है। ऐसे ही सेवरही में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था, जहां प्रतिदिन उससे ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।
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छितौनी में बना था फाइबर अस्पताल-
छितौनी के संयुक्त महिला अस्पताल परिसर में खड्डा के तत्कालीन विधायक जटाशंकर त्रिपाठी की पहल पर डीआरडीओ की तरफ से चार करोड़ की लागत से 70 बेड के फाइबर अस्पताल की स्थापना की गई थी। अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इस अस्पताल में आईसीयू व हर बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने सुविधा है। इस फाइबर अस्पताल को कोविड व अन्य गंभीर रोगों निपटने के लिए पूरे तरीके से हाईटेक बनाया गया है। अस्पताल परिसर में ही सामाजिक संस्था ऑक्सफाम द्वारा पूर्वांचल के सबसे बड़े ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना भी की गई है। 4 करोड़ रुपये की लागत से लगे इस ऑक्सीजन प्लांट से प्रति मिनट 600 लीटर ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता है। 250 केवीए का जेनरेटर भी लगाया गया है। वर्ष 2021 में तत्कालीन डीएम एस. राजलिंगम ने अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को पत्र भेजकर 10 डॉक्टर, 5 पैरामेडिकल स्टॉफ, 2 बाल रोग विशेषज्ञ, 2 स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक रेडियोलॉजिस्ट, हड्डी रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ, एक्सरे टेक्नीशियन, फिजिशियन, 10 पैथोलॉजिस्ट, स्टॉफ नर्स, फार्मासिस्ट समेत 44 कर्मचारियों की मांग की थी, लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। इसका उपयोग न होने की खबर कुछ माह पूर्व आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान में प्रकाशित होने के बाद एक डॉक्टर व कुछ स्वास्थ्यकर्मियों को तैनात कर इसका संचालन शुरू किया गया।
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