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अंग्रेजी फौज की बाइक को 44 साल बाद डॉ. राजकिशोर ने दिया नया रूप

शौक सचमुच बड़ी चीज है! इस शौक और पुरखों की निशानी को बचाने की कोशिश के क्रम में अंग्रेजों के जमाने की बाइक को 44 साल बाद एक शख्स ने बिलकुल नए लुक में ढाल दिया है। मूलत: कुशीनगर जिले के दुदही के रहने...

अंग्रेजी फौज की बाइक को 44 साल बाद डॉ. राजकिशोर ने दिया नया रूप
अविनाश चंद जायसवाल,कुशीनगरSat, 14 Dec 2019 04:27 PM
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शौक सचमुच बड़ी चीज है! इस शौक और पुरखों की निशानी को बचाने की कोशिश के क्रम में अंग्रेजों के जमाने की बाइक को 44 साल बाद एक शख्स ने बिलकुल नए लुक में ढाल दिया है। मूलत: कुशीनगर जिले के दुदही के रहने वाले राजकुमार उर्फ डॉ. राजकिशोर ने अंग्रेजी फौज की बाइक को न सिर्फ आकर्षण का केंद्र बनाया है, बल्कि अपने पास से सवा लाख रुपये लगाकर बुलेट को नया रूप दिया है। हर दिन बड़ी संख्या में लोग बाइक को देखने आ रहे हैं।

अंग्रेजी फौजी के इंग्लैंड वापस लौटते समय खरीदी गई 349 सीसी की मैचलेस जी-3 बाइक अब चुनिंदा लोगों के ही पास ही है। यह बाइक इंग्लैंड की मैचलेस कंपनी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फौज के लिए निर्मित किया था। 

भारत छोड़ जा रहे फौजी से खरीदी थी बाइक
देवरिया के रहने वाले श्याम बिहारी त्रिपाठी और दुदही के रामचंद्र गुप्ता महराजगंज जिले के आनंदनगर में व्यवसाय करते थे। आनंदनगर में ही देवरिया के श्याम बिहारी ने इस बाइक को वर्ष 1947 में जार्ज नामक एक फौजी से 400 रुपये में खरीदी थी। उस समय फौजी भारत छोड़ कर इंग्लैंड जा रहा था। वर्ष 1958 में रामचंद्र गुप्ता ने श्याम बिहारी त्रिपाठी से उतने ही रुपये में यह बाइक खरीद ली और तब से लेकर 1975 तक इसका रामचंद्र उपयोग करते रहे। 1975 में बाइक की सरेंडर वैल्यू खत्म होने के बाद रामचंद्र गुप्ता के घर में वर्ष 2017 तक बाइक बेकार पड़ी रही। 

बेकार बाइक को नाती ने दिया नया रूप
रामचंद्र गुप्ता के नाती डॉ. राजकिशोर ने बाइक को बनवाने की सोची और इसके बारे में पता करना शुरू किया। पिता से मिली जानकारी तथा घर में रखे कागजातों के आधार पर डॉ. राजकिशोर लखनऊ आरटीओ में पड़ताल कराने पहुंचे तो बाइक के कागजात वहां के रिकॉर्ड में मिल गए। वर्ष 2017 में उन्होंने इसको बनवाने की ठानी और काफी खोजबीन कर लखनऊ के एक मैकेनिक को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी। दो साल में बाइक बनकर तैयार हुई।

सवा लाख रुपये खर्च आया
डॉ. राजकिशोर के मुताबिक अंग्रेजी फौज की बाइक को नया रूप देने में करीब सवा लाख रुपये खर्च हो गए। बाइक का पुराना नंबर भी लखनऊ आरटीओ ऑफिस ने डॉ. राजकिशोर के नाम से उनके लखनऊ आवास के पते पर जारी किया है। 

पुरखों की निशानी पाकर आह्लादित हैं परिजन
डॉ. राजकिशोर के साथ ही उनके पिता डॉ. प्रेम नारायण गुप्ता समेत पूरे परिवार के सदस्य पुरखों की इस निशानी को नए रूप में पाकर काफी आह्लादित हैं। दुदही बाजार के लोग हर दिन इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। 

बाइक की खासियत
-यह बाइक बिना शॉकर की है
-मोबिल ऑयल इंजन में नही, ब्लकि अलग टंकी में भरा जाता है
-एक नहीं, चार चेन लगी हैं। एक दो टूट भी जाए तो गाड़ी चलने मे कोई दिक्कत नहीं होगी
-साइकिल की तरह स्टैंड है
 

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