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3500 से 5000 हजार किराया देकर घर को लौट रहे कामगार

लॉकडाउन में घर आने के बेताबी। मजबूरी यह कि न काम है, न ही खाने-पीने का जुगाड़। बेहतर रास्ता बस घर लौट चलो। जीने के नाम पर यही फलसफा बचा है, या यूं कह लीजिए कि खुद की बनाई लकीर है, जिस पर मजदूर चलने को...

3500 से 5000 हजार किराया देकर घर को लौट रहे कामगार
हिन्दुस्तान टीम,कौशाम्बीThu, 07 May 2020 10:27 PM
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लॉकडाउन में घर आने के बेताबी। मजबूरी यह कि न काम है, न ही खाने-पीने का जुगाड़। बेहतर रास्ता बस घर लौट चलो। जीने के नाम पर यही फलसफा बचा है, या यूं कह लीजिए कि खुद की बनाई लकीर है, जिस पर मजदूर चलने को मजबूर है। 3500 से लेकर पांच हजार रुपये देकर मजदूर मुंबई से ट्रकों में बैठकर लौट रहे हैं। यहां आते ही वह ग्रामीणों की शिकायत पर क्वारंटीन हो रहे हैं, लेकिन इसका तनिक भी उन्हें मलाल नहीं है, बस खुशी इस बात की है कि घर-गांव लौट आए हैं।

मुंबई, गुजरात में फंसे मजदूरों की जिंदगी का भाव लग रहा है। चोरी-छिपे आने वाले लोगों से मनमाना किराया मांगा जा रहा है। रुपये न होने पर कामगार घर वालों को फोन करके खाते में रुपये मंगा रहे हैं, इसके बाद ट्रक वालों की तलाश में जुट जाते हैं। 3500 से पांच हजार रुपये तक किराया लिया जा रहा है। शर्त यह होती है कि पहले तो प्रयागराज बार्डर पर छोड़ा जाएगा। यदि सिस्टम बन गया तो उनको कनवार बार्डर पर उतारकर ट्रक कानपुर की ओर निकल जाएगा। मजबूरी में सारी शर्त मंजूर है। एक ट्रक में 60 से 70 लोग आते हैं। रास्ते में इनको सुनसान जगह पर रोका जाता है, ताकि यह शौच आदि कर सकें। इस दौरान यह लाई-चना आदि खाकर दोबारा ट्रक में बैठ जाते हैं। बड़ी मुश्किल से लोग यहां आ रहे हैं। आते ही सभी लोग क्वारंटीन हो जा रहे हैं, क्योंकि गांव वाले इनको घर में रहने नहीं देते, लेकिन इसका इन्हें तनिक भी दुख नहीं है। इनकी खुशी इतनी है कि वह जान बचाकर अपने घर आ गए हैं।

सेलरहा से क्वारंटीन सेंटर भेजे गए युवक

सेलरहा पश्चिम गांव में दो दिन पहले महाराष्ट्र से तीन युवक आए थे। ये युवक चोरी-छिपे आए थे और 3500 रुपया किराया देकर आए थे। यह भी बताया कि उनके बाद आने वाले लोगों ने पांच हजार रुपया दिया है। इन युवकों के गांव आते ही ग्रामीणों ने शिकायत की। जिला प्रशासन ने इनको क्वारंटीन सेंटर भेज दिया है। इन युवकों का कहना है कि वह 14 दिन यहां रह लेंगे, लेकिन महाराष्ट्र में रहना मुश्किल था। वहां उनकी कोई समस्या सुनने वाला ही नहीं था।

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