गोवर्धन पूजा की कथा सुनने पहुंचे हजारों भक्त
नेवादा के उमरवल गांव में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन प्रज्ञा जी ने गोवर्धन लीला और भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। इंद्रदेव के पूजन के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की कथा सुनाई।...
विकासखंड नेवादा के उमरवल गांव में मुखिया भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को कथावाचिका प्रज्ञा जी ने गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का रोचक प्रसंग सुनाया। इस दौरान भगवान के जन्मोत्सव, उनके नामकरण और पूतना वध के साथ माखन चोरी की लीलाओं का वर्णन सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। प्रज्ञा जी ने कहा भगवान ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेज विभिन्न राक्षसों का संघार किया वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया । कथा वाचिका प्रज्ञा जी ने बताया पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन श्री कृष्ण ने देखा कि सभी बृजवासी तरह-तरह के पकवान बना रहे हैं।पूजा का मंडप सजाया जा रहा है और सभी लोग प्रातः काल से ही पूजन की सामग्री एकत्रित करने में व्यस्त है, तब श्रीकृष्ण ने यशोदा जी से पूछा मइया आज सभी लोग किसके पूजन की तैयारी कर रहे हैं ? इस पर मइया यशोदा ने कहा कि पुत्र सभी बृजवासी इंद्रदेव के पूजन की तैयारी कर रहे हैं । तब कान्हा ने कहा कि सभी लोग इंद्र की पूजा क्यों कर रहे हैं ? इस पर माता यशोदा ने उन्हें बताते हुए कहती हैं इंद्रदेव वर्षा करते हैं जिससे अन्य की पैदावार अच्छी होती है और हमारी गायों को चार प्राप्त होता है । इस पर कान्हा ने कहा कि वर्षा करना तो इंद्र देव का कर्तव्य है। यदि पूजा करनी है तो हमें गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए। क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती है और हमें फल,फूल ,सब्जियां आदि गोवर्धन पर्वत से प्राप्त होती है। अतः हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए इसके बाद सभी बृजवासी इंद्रदेव की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे । इस बात को देवराज इंद्र ने अपना अपमान समझा और क्रोध में आकर प्रलय दायक मूसलाधार बारिश शुरू कर दी जिससे चारों ओर त्राहि-त्राहि होने लगी । सभी अपने परिवार और पशुओं को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे तब बृजवासी कहने लगे कि यह सब कृष्ण की बात मानने का कारण हुआ है अब हमें इंद्रदेव का कोप सहना पड़ेगा। इसके बाद भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार दूर करने और सभी बृजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया तब सभी बृजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली । इसके बाद इंद्रदेव को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने कृष्ण से क्षमा याचना की उसी के बाद से गोवर्धन पूजा पूजन की परंपरा आरंभ हुई। इस मौके पर गोवर्धन लीला की झांकी भी सजाई गई और गोवर्धन पूजा का उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। साथ ही कथा के दौरान संगीत भजनों पर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु नाचते रहे। गोवर्धन प्रसंग समाप्त होने के बाद मुख्य यजमान ठाकुर मुन्ना सिंह सपरिवार सहित भागवत भगवान की आरती की।
इस पावन अवसर पर विनय सिंह, मनीष सिंह , दामोदर प्रसाद द्विवेदी, मोहनलाल तिवारी, जित्तू उपाध्याय, छोटेलाल मिश्रा सहित सैंकड़ों भक्त मौजूद रहे।
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