Monsoon Blessings Bumper Rice Crop Expected in Doaba Region धान की फसलों में निकल रही अच्छी बालियां देख किसान गदगद, Kausambi Hindi News - Hindustan
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धान की फसलों में निकल रही अच्छी बालियां देख किसान गदगद

Kausambi News - दोआबा क्षेत्र में जून के अंत से हुई अच्छी बारिश ने धान की खेती के लिए अनुकूल स्थिति बनाई है। किसानों ने 69 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की है, और बारिश ने सिंचाई की लागत को कम कर दिया है। धान की लंबी...

Newswrap हिन्दुस्तान, कौशाम्बीSun, 7 Sep 2025 10:37 PM
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धान की फसलों में निकल रही अच्छी बालियां देख किसान गदगद

दोआबा में इस बार जून के आखिरी सप्ताह से अच्छी बारिश होने से धान की खेती के लिए वरदान साबित होती दिख रही है। फसलों में निकल रही धान की लंबी व स्वस्थ बालियां देख दोआबा के अन्नदाता गदगद हैं। उनका मानना है कि बालियों में रोग व कीट नहीं लगे तो किसानों को अच्छा मुनाफ होगा। जिलेभर के किसानों को इस बार खरीफ की प्रमुख फसल धान की खेती लगभग 69 हजार हेक्टेयर में की है। धान की अगेती खेती करने वाले किसानों ने 15 जून से ही अपने खेतों में धान की रोपाई शुरू कर दी थी। लेकिन जून के आखिरी सप्ताह लगते ही बारिश शुरू होने पर रोपाई ने तेजी पकड़ लिया था।

इसके बाद दो-चार दिन के अंतराल पर जुलाई व अगस्त महीने में जिलेभर में बारिश होती रही। इसके चलते किसानों को इस फसलों की सिंचाई की समस्या से नहीं जूझना पड़ा। यूं कहें कि धान की खेती में सिंचाई के नाम पर आने वाली दो से तीन रुपये रुपये प्रति बीघा की लागत किसानों की बच गई है। दूसरी ओर बारिश का पानी मिलने से फसलें पूरी तरह से निरोगी व तरोजाता दिख रही हैं। ऐसे में उनमें निकल रही बालियां भी लंबी व निरोगी हैं। इससे धान की भरपूर पैदावार होने की सम्भावना है। धान की फसलों में निकल रही लम्बी व स्वस्थ बालियों को देख दोआबा का किसान गदगद है। वहीं, उप कृषि निदेशक सत्येंद्र कुमार तिवारी का कहना है कि धान की फसलें इस बार जिलेभर में अच्छी हैं। सबकुछ ठीक रहा तो अच्छी पैदावार से किसानों की आमदनी भी दोगुनी होगी। श्रीअन्न की खेती करने वाले किसानों को इस बार बोआई का अच्छा मौका नहीं मिल सका है। मुश्किल से देखने को मिल रही श्रीअन्न की फसलें जून माह के आखिरी सप्ताह से अगस्त तक रह-रहकर होती बारिश ने इस बार किसानों को श्रीअन्न की बोआई करने का मौका नहीं दिया। जिले के गांवों में कुछ किसानों ने ही अपने खेतों में बाजरा, ज्वार व अरहर की बोआई कर पाने में सफलता पाई है। यूं कहें कि महज पांच से दस फीसदी खेतों में ही ज्वार, बाजरा व अरहर, मूंग, उर्द, तिल, कोदौ, सांवा आदि की फसलें देखने को मिल रही हैं।

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