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14 दिन में मजदूरों का सवा दो करोड़ का नुकसान

मनरेगा योजना के तहत मजदूरों की अनदेखी लगातार सेक्रेटरी व ग्राम प्रधान कर रहे...

14 दिन में मजदूरों का सवा दो करोड़ का नुकसान
हिन्दुस्तान टीम,कौशाम्बीTue, 19 Nov 2019 10:05 PM
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मनरेगा योजना के तहत मजदूरों की अनदेखी लगातार सेक्रेटरी व ग्राम प्रधान कर रहे हैं। औसत के हिसाब से माने तो 14 दिन में 168 गांव के मजदूरों का सवा दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। समीक्षा बैठक में जीरो प्रतिशत प्रगति देख खफा हुए सीडीओ ने जांच शुरू करा दी है। इन गांवों की जांच की जिम्मेदारी 33 अधिकारियों को सौंपी गई है। यदि सेक्रेटरी व प्रधान की लापरवाही उजागर हुई तो कार्रवाई भी होना तय है।

मनरेगा योजना के तहत गांव के जॉब कार्डधारक मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। एक जाबकार्ड धारक मजदूर को 186 रुपया मजदूरी मिलती है। घर बैठे इनको काम मिलता है। इसी काम की आश में मजदूर बैठे रह गए, लेकिन इनको काम नहीं मिला। मनरेगा में महीनों से इस तरह की लापरवाही चल रही है। सीडीओ इंद्रसेन सिंह ने समीक्षा की तो पता चला कि 168 ग्राम पंचायतों की प्रगति शून्य मिली। इस पर सीडीओ नाराज हो गए। सीडीओ ने इन 168 गांवों की जांच 33 अधिकारियों को सौंपी है। साथ ही निर्देश दिया है कि वह जांच कर बताएं कि किन परिस्थितियों में मनरेगा का कार्य नहीं कराया गया और मजदूरों को काम क्यों नहीं मिला। किसकी लापरवाही से यह स्थिति बनी है, इसकी विस्तृत रिपोर्ट वह सौंपे। जांच अधिकारियों को हिदायत दी है कि वह जल्द से जल्द इसकी रिपोर्ट सौंपे। औसत निकाला गया है कि एक मजदूर को 14 दिन का काम दिया जाता है। उसकी एक दिन की मजदूरी 168 रुपया होती है। एक गांव में कम से कम 50 मजदूर लगाए जाते हैं। इस हिसाब से यदि मजदूरों का काम देखें तो वह दो करोड़ 18 लाख रुपये से ज्यादा का बनता है। मजदूरों की स्थिति को देखते हुए सीडीओ ने नाराजगी जाहिर की है और मातहतों पर शिकंजा कस दिया है।

सिराथू, मंझनपुर की सबसे ज्यादा हालत खराब

मनरेगा योजना के तहत सिराथू के 25, मंझनपुर के 18 ग्राम पंचायतों में कार्य प्रगति शून्य है। इसके अलावा सरसवां समेत अन्य ब्लाक भी शामिल हैं। मनरेगा का कार्य कराने में ब्लाक स्तर के अधिकारी तनिक भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। यही कारण है कि मनरेगा का काम जोर नहीं पकड़ रहा है, जिसका खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है।

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