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कृषि कानून के विरोध में किसानों ने भरी हुंकार, चक्काजाम की चेतावनी

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने तहसील में शुक्रवार को नारेबाजी की। भाकियू के नेताओं ने कहा कि सरकार कृषि...

कृषि कानून के विरोध में किसानों ने भरी हुंकार, चक्काजाम की चेतावनी
हिन्दुस्तान टीम,कौशाम्बीFri, 15 Jan 2021 11:42 PM
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चायल। हिन्दुस्तान संवाद

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने तहसील में शुक्रवार को नारेबाजी की। भाकियू के नेताओं ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में कंपनीराज लागू करना चाहती है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाकियू के नेताओं ने इन कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। मांगें नहीं मानी जाने पर 26 जनवरी को विशाल रैली निकाल कर चक्काजाम की चेतावनी दी।

भारतीय किसान यूनियन के तहसील अध्यक्ष चंदू तिवारी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कार्यकर्ताओं ने तहसील परिसर में बैठक और प्रदर्शन किया। चंदू तिवारी ने कहा कि तीन नए कृषि कानूनों से किसानों को बंधुआ बनाने का खतरा है। कई राज्यों की सरकारें इनका विरोध कर रही हैं। कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, नहीं तो किसान विरोध जारी रखेंगे। उन्होंने सिंचाई, बिजली, बीमा कंपनी की मनमानी के मुद्दों को भी उठाया। नहरों का संचालन जल्द शुरू करने की मांग की। कहा कि सिंचाई के इंतजाम न होने से फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। नुकसान का सर्वे कराकर बीमा कंपनी से नुकसान की भरपाई कराई जाए। उन्होंने चेतवानी देते हुए कहा कि अगर सरकार 26 जनवरी के पहले तीनों कानून वापस नहीं लेती है, तो किसान गणतंत्र दिवस के दिन विशाल रैली निकाल कर चक्काजाम करेंगे। कार्यकर्ताओं ने एसडीएम ज्योति मौर्या को ज्ञापन सौंपा। मान सिंह पटेल, ननकू लाल शर्मा, मैकूलाल पटेल, मो. शाहिद, श्रीनाथ, विजय सिंह, रमाकांत, बाबूलाल, त्रिभुवन सिंह, गीमा देवी, प्रेम नारायण आदि मौजूद रहे।

सीएचसी नहीं चालू होने पर तीन फरवरी को करेंगे चक्काजाम

भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को चेतावनी देकर कहा कि तीन फरवरी तक अगर सीएचसी नहीं चालू कराई गई तो किसान चक्काजाम कर आंदोलन करेगा। चायल कस्बे में आठ साल पहले बनकर तैयार सीएचसी अपने हाल पर रो रहा है। कार्यदायी संस्था जल निगम की ओर से हस्तांतरण न करने के कारण अस्पताल नहीं चल रहा है। शासन ने सीएचसी के लिए डॉक्टरों की नियुक्ति भी कर दी है, लेकिन संसाधन के अभाव के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। तीन करोड़ चार लाख की लागत से सीएचसी का निर्माण कराया गया था। 2012 में सीएचसी बनकर तैयार हो गया था। सड़क की सतह से भवन नीचा होने के कारण बरसात के दिनों में जलभराव की स्थिति बन जाती है। भवन समय से हस्तांतरित न होने के कारण अराजकतत्व दीवारें तोड़कर खिड़की व दरवाजे निकाल ले गए। किसान यूनियन के तहसील अध्यक्ष चंदू तिवारी ने चेतवानी देते हुए कहा कि अगर तीन फरवरी तक सीएचसी चालू नहीं की गई तो कार्यकर्ता सड़क जाम कर आंदोलन करेंगे।

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