मददगार बनी महिला पर अब प्रशासन मेहरबान
ठंड में जान गंवाने वाली महिला की अब तक शिनाख्त नहीं हो सकी है।
ठंड में जान गंवाने वाली महिला की अब तक शिनाख्त नहीं हो सकी है। खास यह कि उसे बचाने की कोशिश करने वाली महिला कुसुम ही मृतका के अबोध बच्चे की पालनहार बनी है। खुद बेसहारा होकर दूसरे का सहारा बनी कुसुम आज क्षेत्र में लोगों के लिए श्रद्धा की पात्र बन गई है। मेहनत, मजदूरी से गुजर करने वाली इस महिला पर अब प्रशासन भी मेहरबान हो गया है।
ठंड से महिला की मौत के बाद प्रशासनिक अमला दूसरे दिन भी नारा गांव पहुंचा और बेसहारा बच्चे का सहारा बनी कुसुम से पूछताछ भी की। एसडीएम ने खुद नारा गांव में पूछताछ की। उन्हें पता चला कि कुसुम ने रात में महिला को बचाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुई। एसडीएम ने कुसुम से खुद बात की तो पता चला कि उसका पति से वर्षों पूर्व अलगाव हो चुका है और वह अपने चार बेटों व एक बेटी की परवरिश खुद मेहनत, मजदूरी करके कर रही है। उसे कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिली है। उसके पास राशनकार्ड तक नहीं है। इस पर एसडीएम ने नाराजगी जताते हुए ग्राम प्रधान को निर्देश दिया कि कुसुम को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
ठंड से नारा गांव में मंगलवार को अज्ञात महिला की मौत के बाद सवाल यह था कि उसके दस माह के बच्चे को कौन रखेगा। इसपर कुसुम ने सहर्ष स्वेच्छा से उस मासूम को मां का आंचल दिया। बच्चे संग कांपते हुए पुआल के ढेर में घुसी महिला को बचाने के लिए कुसुम ने ही घर से कंबल लाकर दिया। वह उसे अपने घर ले जाने का प्रयास कर रही थी, लेकिन महिला जाने की स्थिति में नहीं थी। सुबह होते ही गांव के लोगों को इकट्ठा कर महिला को अस्पताल पहुंचवाया। इसके बाद भी महिला को नहीं बचाया जा सका।