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Hindi News उत्तर प्रदेश कौशाम्बीसच्चा मुसलमान वही जो दूसरों के दुख-दर्द समझे

सच्चा मुसलमान वही जो दूसरों के दुख-दर्द समझे

इस्लाम दुनिया में अमन का पैगाम लेकर आया है। हजरत रसूल (स.) का इरशाद है कि सच्चा मुसलमान वही है जो दूसरों का दुख-दर्द समझे और उसमें शामिल...

इस्लाम दुनिया में अमन का पैगाम लेकर आया है। हजरत रसूल (स.) का इरशाद है कि सच्चा मुसलमान वही है जो दूसरों का दुख-दर्द समझे और उसमें शामिल...
1/ 2इस्लाम दुनिया में अमन का पैगाम लेकर आया है। हजरत रसूल (स.) का इरशाद है कि सच्चा मुसलमान वही है जो दूसरों का दुख-दर्द समझे और उसमें शामिल...
इस्लाम दुनिया में अमन का पैगाम लेकर आया है। हजरत रसूल (स.) का इरशाद है कि सच्चा मुसलमान वही है जो दूसरों का दुख-दर्द समझे और उसमें शामिल...
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हिन्दुस्तान टीम,कौशाम्बीMon, 11 Nov 2019 11:43 PM
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इस्लाम दुनिया में अमन का पैगाम लेकर आया है। हजरत रसूल (स.) का इरशाद है कि सच्चा मुसलमान वही है जो दूसरों का दुख-दर्द समझे और उसमें शामिल हो। इस्लाम कभी खून-खराबे की इजाजत नहीं देता है। यह बातें रविवार रात मनौरी गांव में आयोजित ईद मीलादुन्नबी के मौके पर मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खां कादरी ने अपनी तकरीर के दौरान कही।

उन्होंने हाजरीन ए महफिल को खेताब करते हुआ कहा कि इस्लाम में दहशतगर्द की कोई जगह नहीं है। आज का मुसलमान हराम और हलाल का फर्क भूलता जा रहा है और वह गुमराह हो रहा है। मौलाना इरफान अशरफी मंसूराबादी ने बताया कि मुसलमान को पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ अन्य सारे फर्ज और नफिल अयामों का पाबंद होना चाहिए, जिससे उसके अंदर तकवा और परहेजगारी बनी रहे और वह इस्लाम के वसूलों पर मुस्तैद रहे। तकरीर से पहले शोराओं ने नातख्वानी का कलाम पेश किया। शादाब वफानूरी कानपुरी ने पढ़ा कि, जो मकसदे शाह को पूरा नहीं होने देगा, उसको खालिक कभी पैदा नहीं होने देगा। नदीम अख्तर इलाहाबादी ने पढ़ा-अज्म से सब्र से एहसास से डर लगता है, जा बजा बिखरी हुई प्यास से डर लगता है, इसलिए शाम से करबल में नहीं आया था यजीद, उसको जैनब तेरे अब्बास से डर लगता है। कारी अब्दुल्लाह कादरी मंझनपुरी और कारी जाहिद रजा इलाहाबादी ने भी अपने कलाम पेश किए। कारी मिनहाज बांदवी नौजवान कमेटी ने भी अपने कलाम पेश किए। गुलामाने मुस्तफा नौजवान कमेटी की जानिब से जलसा मुकम्मल हुआ। इस मौके पर नियाज अहमद, मोहम्मद रिजवान, गुलाब बाबू, मोहम्मद साजिद, मोहम्मद तालिब, इरफान अहमद, शमशाद अहमद, मोहम्मद कैफ, तौफीक अहमद, हफीज अहमद, शकील अहमद, अली अब्बास, गौहर अली, बड़का, अफसार बाबू, अली अहमद, और नासिर अली आदि लोग मौजूद रहे।

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