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स्त्री के समर्पण, त्याग, वीरता, साहस और शौर्य ने वीरांगना को दी मर्दानी की उपाधि

नवरात्र के पहले दिन महिला सशक्तीकरण सेमिनार का आयोजन राजकीय मेडिकल कॉलेज में शनिवार को किया गया। इसमें जिले की प्रभारी मंत्री नीलिमा कटियार ने महिला चिकित्सकों व लगातार सक्रिय रूप से समाजसेवी कार्यो...

स्त्री के समर्पण, त्याग, वीरता, साहस और शौर्य ने वीरांगना को दी मर्दानी की उपाधि
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरSun, 18 Oct 2020 03:26 AM
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नवरात्र के पहले दिन महिला सशक्तीकरण सेमिनार का आयोजन राजकीय मेडिकल कॉलेज में शनिवार को किया गया। इसमें जिले की प्रभारी मंत्री नीलिमा कटियार ने महिला चिकित्सकों व लगातार सक्रिय रूप से समाजसेवी कार्यो में जुटी रहने वाली महिलाओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

वीरांगना लक्ष्मीबाई के जीवन चरित्र पर मेडिकल कॉलेज के लेक्चर थियेटर में आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि जिले की प्रभारी मंत्री के साथ, सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष रामेंद्र सिंह सेंगर बनाजी, कालपी विधायक नरेंद्र सिंह जादौन, माधौगढ़ विधायक मूलचंद निरंजन, एडीएम प्रमिल कुमार सिंह, सीडीओ प्रशांत श्रीवास्तव ने महिला सशक्तीकरण पर सम्बोधित किया। प्रभारी मंत्री नीलिमा कटियार ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी में पूरा प्रयत्न कर मेडिकल कॉलेजों में उपचाराधीन मरीजों को सभी सुविधाओं का लाभ मिले इसकी अच्छे से मॉनीटरिंग की है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं चिकित्सीय टीम की प्रशंसा करते हुए राज्यमंत्री ने कहा कि महामारी में जब व्यक्ति अपने घर की खिड़कियों, सुराखों व खुले स्थानों को बंद कर रहा था। वहीं चिकित्सक अग्रणी भूमिका अदा करते हुए संक्रमित मरीज की देखभाल उनके समुचित उपचार के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने कार्य में जुटे रहे। कहा कि धरती पर चिकित्सक को भगवान के रूप क्यों कहा जाता है यह इस कोरोना महामारी में स्पष्ट हो गया। मेडिकल के प्रधानाचार्य डॉ. द्विजेंद्र नाथ ने कहा कि आज का दिन बड़ा ही पुनीत है क्योंकि नवरात्र के प्रारब्धकारी प्रथम दिन में मां शैलपुत्री का हम सभी को आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। नारी शक्ति का साक्षात उदाहरण स्वरूप राज्यमंत्री महिला सशक्तीकरण का उदघोष करने के लिए हमारे मध्य उपस्थित हैं। मेडिकल कॉलेज ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए 2500 से ज्यादा कोरोना मरीजों को स्वस्थ्य कर घर भेजा गया है। डॉ. अखिलेश ने वीरांगना लक्ष्मीबाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कैसे एक स्त्री के समर्पण, त्याग, वीरता, साहस और शौर्य के कारण उन्हें मर्दानी की उपाधि दी गई।

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