अजब-गजबः हनुमान गिरि का अनूठा तप और सोमवारपुरी के लंबे केश से सब हैरान, VIDEO
संतों के तप के अपने ढंग हैं। बाबा हनुमान गिरि उर्फ ठड़ेश्वरी महाराज को तो देखिए वे पिछले आठ साल से खड़े होकर तप कर रहे हैं। हर कोई उनको देखकर हैरान है। तप के समय उनकी एकाग्रता देखते ही बनती...
संतों के तप के अपने ढंग हैं। बाबा हनुमान गिरि उर्फ ठड़ेश्वरी महाराज को तो देखिए वे पिछले आठ साल से खड़े होकर तप कर रहे हैं। हर कोई उनको देखकर हैरान है। तप के समय उनकी एकाग्रता देखते ही बनती है।
यह एक नजारा है मेला श्रीरामनगरिया (फर्रुखाबाद) यानी मिनी काशी का, गंगा मैया की साधना को पहुंचे हनुमान गिरि हर समय खड़े ही रहते हैं। चाहे वह तप का समय हो या फिर अन्य दैनिक क्रिया। सब कुछ वे खड़े होकर कर रहे हैं। मूल रूप से फर्रुखाबाद के ही रहने वाले हनुमान गिरि बचपन में ही ब्रह्मलीन महंत भैरोगिरि महाराज की शरण में चले गए थे। इसके बाद ही उन्होंने शहदपुर गुड़गांव में अपना ठिकाना बना लिया। 13 वर्ष तक वे गुड़गांव में रहे, इसके बाद राजस्थान के बीकानेर चले आए। जहां उन्होंने बाबा रामदेव मंदिर कोलाइट तहसील में अपना ठिकाना बनाया।
आठ साल पहले वर्ष 2010 में अचानक बाबा हनुमानगिरि ने खड़े होकर तप करने का संकल्प लिया। इसके बाद से ही वे खड़े होकर सभी क्रिया कलाप करने लगे। हनुमान गिरि ने बताया कि वर्ष 2022 तक वह खड़े होकर ही तप करेंगे। यह उन्होंने तप शुरू करते समय ही निश्चय किया था। उन्होंने बताया कि गुरु भक्ति में लीन होकर खड़ेश्वरी वृत का संकल्प लिया है।
सोमवारपुरी के साढ़े पांच फिट लंबे केश
डॉक्टर से संत बने सोमवारपुरी बाबा भी मेला श्रीरामनगरिया की तपोस्थली में साधना कर रहे हैं। उनके साढ़े पांच फिट लंबे केश हैं। इनको सहेज कर आसपास कल्पवासियों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हैं। शाहजहांपुर जिले के रहने वाले सोमवारपुरी ने 1976 में गुरु दीक्षा पाई थी। पत्नी के निधन के बाद उन्होंने संत को वेश धारण कर लिया। सोमवारपुरी ने बताया कि उनके केश 20 साल के हो गए हैं। उन्होंने बताया कि पांच साल तक उन्होंने देहात क्षेत्र में मरीजों की भी सेवा की और 32 साल से इस तपोस्थली में आ रहे हैं।
बंदूक वाले बाबा का अंदाज निराला
संतों की तपोभूमि रामनगरिया में एक बंदूक वाले बाबा भी अपने अंदाज को लेकर जाने जाते हैं। बंदूक वाले बाबा जब मेला क्षेत्र में घूमते हैं और चौराहे पर खड़े होकर बम भोले की ललकार करते हैं तो भगदड़ मच जाती है। 85 साल के हो चुके बाबा छिबरामऊ कन्नौज के रहने वाले हैं। 29 साल की उम्र में खेतीबाड़ी छोड़कर बाबा बन गए। वह 21 साल से मेला रामनगरिया में आ रहे हैं।
मां गंगा की साधना खींच लाई
मशहूर संत मनोज भारती बब्बा को गंगा मैया की साधना की इच्छा मिनी काशी को खींच लाई। वे पिछले कई वर्षों से यहां जप तप को आ रहे हैं। नौ साल की उम्र में ही बब्बा गुरु परमहंस रामकृष्ण भारती बांदा वालों की सेवा में आए। सुतनापुर पुखराया कानपुर आश्रम पर रहने लगे। 18 साल की उम्र में उन्होंने सन्यास ग्रहण कर लिया। उसके बाद से ही गुरु आज्ञा से सुखदेव मुनि आश्रम छोटी बरौनी तिराहा दतिाय ग्वालियर रहने लगे। बाबा के देश में 14 आश्रमों में शिष्य रहते हैं। 2015 से वह कामाख्या में रहकर साधना कर रहे हैं।