एलिवेटेड ट्रैक के लिए इतनी गहराई तक तक खोदी मिट्टी
अनवरगंज से मंधना के बीच प्रस्तावित एलिवेटेड ट्रैक के कराए जा रहे सर्वे की कड़ी में सोमवार को टीम ने दो स्थानों से मिट्टी के सैंपल...

कानपुर। प्रमुख संवाददाता
अनवरगंज से मंधना के बीच प्रस्तावित एलिवेटेड ट्रैक के कराए जा रहे सर्वे की कड़ी में सोमवार को टीम ने दो स्थानों से मिट्टी के सैंपल लिए। मिट्टी के ये सैंपल 40 मीटर नीचे के लिए गए हैं। अभी पांच स्थानों से और मिट्टी के सैंपल लिए जाएंगे। इसकी वजह यह है कि इस एलिवेटेड ट्रैक पर यात्री ट्रेनों के अलावा मालगाड़ियों का भी लोड होगा। अमूमन फ्लाईओवर के पिलर बनाने को 25 से 35 मीटर नीचे की मिट्टी का परीक्षण कराया जाता है।
मंधना से अनवरगंज के बीच 18 रेल क्रासिंगें शहरियों के लिए कोढ़ बनी है। क्रासिंगों के समानांतर जीटी रोड होने की वजह से पीकआवर्स में गेट बंद होने पर भीषण जाम लगता है। जाम से स्थायी निजात दिलाने को एलिवेटेड ट्रैक प्रस्तावित किया गया। इसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे और सिस्ट्रा प्राइवेट कंपनी लिमिटेड ने पिछले सप्ताह से सर्वे शुरू किया। रेलवे एक्सईएन के नेतृत्व में सोमवार को मृदा परीक्षण का काम शुरू करा दिया है।
मेट्रो ट्रैक से सौ गुना अधिक लोड होगा
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि मेट्रो का भी ट्रैक आईआईटी से मोतीझील तक एलिवेटेड है। मेट्रो के ट्रैक से इस एलिवेटेड ट्रैक पर सौ गुना अधिक लोड पड़ेगा। एक मेट्रो में तीन रैक होते हैं,जबकि सबसे छोटी बिठूर मेमो में छह रैक लगते हैं। मालगाड़ी के एक वैंगन में औसतन 80 से 100 टन तक का लोड होता है।
28 अगस्त तक मुख्यालय को जाएगी रिपोर्ट
सर्वे करने वाली टीम के अफसरों ने बताया कि पहले चरण में ड्रोन वीडियोग्राफी के जरिए क्रासिंगों और स्टेशनों के लोड का आकलन किया गया। दूसरे चरण में मृदा परीक्षण और तीसरे चरण में प्रस्तावित किए गए। नए स्टेशन के लिए कितनी और जमीन अधिग्रहित करनी पड़ेगी। इन सभी की रिपोर्ट कंपाइल करने के बाद मुख्यालय को 28 अगस्त तक सौंप दिया जाएगा। इसके बाद मुख्यालय से डीपीआर बनाकर रेलवे बोर्ड को भेजा
