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कानपुर से 38 मिनट में लखनऊ पहुंचाएगी शताब्दी एक्सप्रेस

कानपुर-लखनऊ रेल मार्ग के उच्चीकरण की समय सीमा तय कर दी गई है। सब कुछ

कानपुर से 38 मिनट में लखनऊ पहुंचाएगी शताब्दी एक्सप्रेस
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरWed, 22 Jun 2022 03:10 PM
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कानपुर-लखनऊ रेल मार्ग के उच्चीकरण की समय सीमा तय कर दी गई है। सब कुछ पटरी पर रहा तो 21 महीने बाद स्वर्ण शताब्दी से कानपुर से चारबाग का सफर 38 मिनट में पूरा हो जाया करेगा। अन्य मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें 50 मिनट में पहुंचाएंगी। रेलवे ने देश भर के कुछ रेल मार्गों को मिशन रफ्तार में शामिल किया है। दिल्ली-हावड़ा के साथ ही कानपुर-लखनऊ रेल मार्ग भी इसका हिस्सा है। दिल्ली से कानपुर तक मिशन रफ्तार का लगभग 75 फीसदी काम हो चुका है। मिनी हाईस्पीड ट्रैक बनाने का काम अंतिम चरण में है। लखनऊ रेल मार्ग को मार्च-2024 तक हाईस्पीड ट्रैक में तब्दील करने की समय सीमा निर्धारित की गई है। इसके लिए ओवर हेड इलेक्ट्रिक लाइन, सिग्नल एंड टेलीकम्युनिकेशन और ट्रैक को 60 केजी बनाने का काम एक साथ शुरू करा दिया है। इसके बाद इस ट्रैक पर 160 किमी की गति से ट्रेनें चलेंगी। फिलहाल लखनऊ से कानपुर तक आने में शताब्दी सवा घंटे और मेल-एक्सप्रेस डेढ़ से पौने दो घंटे का समय लेती हैं। कई बार ट्रैक फ्रैक्चर होने से घंटों संचालन बंद रहता है। उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक के मुताबिक ट्रैक को अपग्रेड करने के लिए विभाग तेजी से काम कर रहा है। मार्च-2024 में यह ट्रैक मिनी हाईस्पीड में तब्दील हो जाएगा। अब तो जीएम स्तर से मॉनीटरिंग शुरू है।

जीएम ने गंगाघाट तक परखा था काम

उत्तर रेलवे के जीएम आशुतोष गंगल अपनी इंजीनियरिंग टीम के साथ चारबाग से गंगाघाट तक चल रहे कार्यों की मौजूदा स्थित का आकलन कर चुके हैं। इस दौरान निर्देश दिए थे कि हाईस्पीड ट्रैक बनाने की तय की गई समय सीमा तक हरहाल में काम पूरा करना है।

सिग्नलिंग उच्चीकरण दिसंबर-2022 तक

रेलवे इंजीनियरों ने बताया कि सबसे तेज गति से सिग्नलिंग का काम चल रहा है। यह इसी साल दिसंबर तक पूरा होगा। इसके बाद ट्रैक व ओएचई का काम होगा।

तब साढ़े चार घंटे में पहुंचाती थी ट्रेन

रेलवे के मुताबिक कानपुर सेंट्रल से वर्ष 1940 में कोयला चालित पैसेंजर ट्रेन लगभग साढ़े चार घंटे में चारबाग पहुंचाती थी। डीजल चालित पैसेंजर ट्रेनें तीन घंटे में पहुंचाने लगीं, वो भी तब जब कहीं फंसे न। वर्ष 1989 में चली शताब्दी एक्सप्रेस शुरूआती दिनों में 90 मिनट में चारबाग पहुंचाती थी।

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