कानपुर। विदेश की यात्रा घंटों में और देश की यात्रा मिनटों में पूरी होगी। अमेरिका जाने के लिए सिर्फ एक घंटा लगेगा और गोवा या मुंबई जाने के लिए सिर्फ 15 मिनट। जल्द ही दूसरे ग्रहों पर पहुंचने का समय भी महीनों के बजाए दिनों में पूरा होगा। अभी यह सिर्फ ख्याली बातें लग रही हैं लेकिन जल्द ही यह सच होंगी। आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने डेटोनेशन ट्यूब रिसर्च तकनीक का विकास किया है। जिसकी मदद से ऐसे इंजन तैयार होंगे जिनमें हाइपर सुपरसोनिक से भी अधिक गति मिल सकेगी। जिसका प्रयोग सैन्य व घरेलू विमानों में किया जा सकेगा। न केवल गति अधिक होगी बल्कि ईंधन का उपयोग भी आधा रह जाएगा। इस तकनीक से तैयार होने वाले फाइटर प्लेन की रफ्तार इतनी अधिक होगी कि वह किसी रडार में भी पकड़ में नहीं आएगा।
आईआईटी के वैज्ञानिकों ने कहा कि प्राचीन घटनाओं में विज्ञान ही आधार है। बस सही रिसर्च कर वैज्ञानिक आधार का पता लगाना जरूरी है। प्राचीन काल में व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर पल में पहुंच जाता था। यह तकनीक इसे आधार प्रदान कर रही है। टीम की अगुवाई कर रहे प्रो. अजय विक्रम सिंह ने बताया कि दो साल से इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों में इस क्षेत्र में रिसर्च चल रही है। लेकिन, अभी तक डेटोनेशन तकनीक से इंजन का विकास करने में सफलता नहीं मिली है। डेटोनेशन से मिलने वाली ऊर्जा की क्षमता इतनी अधिक होती है कि वह उत्पाद को नष्ट कर देती है। अभी तक प्रयोग में मात्र 10 सेकेंड में ही इंजन नष्ट हो गया। प्रो. सिंह ने कहा कि टीम ने इस ऊर्जा को नियंत्रित करने की विधि विकसित कर ली है। इससे अब इंजन विकास की राह खुल गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रयोग से ईंधन और आग के संपर्क में आने से लपटों के फैलने और उसके नियंत्रण का तरीका भी समझा गया है। इस रिसर्च की मदद से जंगलों में लगने वाली आग, खदान में होने वाले विस्फोट और पेट्रोलियम संस्थानों के सुरक्षा प्रोटोकाल को मजबूत किया जा सकेगा। संस्थान के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि डेटोनेशन ट्यूब रिसर्च तकनीक वैश्विक एयरोस्पेस समुदाय में भारत की स्थिति को और बेहतर बनाएगी। इसके उपयोग से देश को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचार करने के लिए उपकरण प्रदान होंगे।
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