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रियूज डाक टिकट मामले की जांच ठंडे बस्ते में

डाक टिकटों को दोबारा इस्तेमाल कर विभाग को लाखों का चूना लगाने वाले कर्मचारियों की पहुंच का असर है कि इतने बड़े मामले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इन इस्तेमाल की हुई टिकटों से भेजी डाक को नवम्बर...

रियूज डाक टिकट मामले की जांच ठंडे बस्ते में
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरMon, 17 Feb 2020 02:16 AM
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डाक टिकटों को दोबारा इस्तेमाल कर विभाग को लाखों का चूना लगाने वाले कर्मचारियों की पहुंच का असर है कि इतने बड़े मामले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इन इस्तेमाल की हुई टिकटों से भेजी डाक को नवम्बर में पुणे,महाराष्ट्र में वहां के अधिकारियों ने पकड़ा था। अधिकारियों ने कानपुर के पोस्टमास्टर जनरल को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की थी।

डाक टिकटों के दोबारा इस्तेमाल का मामला उजागर होने पर आनन-फानन में कमेटी बनाकर जांच शुरू की गई थी, लेकिन करीब तीन माह का वक्त बीत जाने के बाद भी न तो किसी कर्मचारी पर कोई कार्रवाई हुई न किसी को दोषी माना गया। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दोनों आरोपित कर्मचारियों के स्थान में परिवर्तन किया गया है। एक को मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव से हटाकर डिलीवरी में असिस्टेंट पोस्टमास्टर बनाया गया है। जबकि दूसरे आरोपित को स्टैंप वेंडर से हटाकर पोस्टमैन बना दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक मामले की जांच खुद चीफ पोस्टमास्टर मनोज कुमार मिश्रा कर रहें हैं।

ये था पूरा मामला

सिविल लाइन की एक कंपनी ने अपनी थोक में डाक पुणे भेजने के लिए डाक विभाग से सम्पर्क किया था। इस डाक के हर लिफाफे पर 7 रुपए मूल्य की टिकट लगनी थी लेकिन उस समय मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव और स्टैंप वेंडर ने मिलीभगत कर लिफाफों पर 4-4 रुपए कीमत की दो होमी जहांगीर भाभा डाक टिकटें लगा दीं थीं। मामला उजागर होने पर जांच हुई तो पता चला कि ये टिकटें काफी समय से स्टॉक में ही नहीं हैं।

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