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VIDEO: फतेहपुर के मेउना को सबसे स्वच्छ गांव बनाने में जुटे हैं रमेश, लड़कियों की शादी में भी करते हैं मदद

फतेहपुर के छीछा गांव के मजरा मेउना के रमेश को भले राष्ट्रपति का मंच न मिले लेकिन गांव और क्षेत्र

Shivenduफतेहपुर, विनोद कुमार बाजपेईFri, 15 Sep 2017 11:15 AM

मन में ठाना और कर दिखाया...

मन में ठाना और कर दिखाया... 1 / 2

मेघालय के छोटे से गांव मावलिन्नांग को एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का खिताब मिला है, यहां के सरपंच के साथ पूरा गांव साफ-सफाई का ध्यान रखता है, सरपंच को यह सम्मान मिला है कि वह कल कानपुर में राष्ट्रपति के साथ मंच से देशवासियों को स्वच्छता का संदेश देंगे। फतेहपुर के छीछा गांव के मजरा मेउना के रमेश को भले राष्ट्रपति का मंच न मिले लेकिन गांव और क्षेत्र के सारे लोग स्वच्छता के लिए उन्हें सलाम करते हैं। सुबह वह झाड़ू लेकर निकलते हैं और गांव गलियों से लेकर नाले-नाली सभी की सफाई करके ही घर लौटते हैं। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कल कानपुर से पूरे देश के लिए स्वच्छता ही सेवा अभियान का आगाज करेंगे। इसी के साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के मन की बात पूरी करने का आह्वान पूरे देश से करेंगे। प्रधानमंत्री ने दो साल पहले यह अभियान शुरू किया था और राष्ट्रपति अब उसको गति देने जा रहे हैं लेकिन मेउना के रमेश 26 साल से यह अभियान चला रहे हैं।

मन में ठाना और कर दिखाया

मन में कुछ करने की हसरत हो तो कोई भी अड़चन बेकार साबित हो जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है खजुहा ब्लाक के छीछा गांव के मजरा मेउना निवासी 52 वर्षीय शिक्षक रमेश ने। 1991 से यह अपने पूरे गांव में झाड़ू लगाकर लोगों को स्वच्छता के साथ रहने की सीख देते हैं। इंटर कालेज के शिक्षक होने के बाद भी मन में किसी भी प्रकार का संकोच इनके चेहरे पर नहीं दिखता है। यह काम प्रतिदिन वह करते हैं, उनकी मेहनत मेउना में दिखती है।   

भोर पहर चार बजे उठती है झाड़ू

शिक्षक रमेश प्रतिदिन भोर पहर अपने घर से झाड़ू लगाना शुरू करते हैं। पूरे गांव की गलियों की सफाई करते हुए वह गांव के पांच सौ मीटर दूर स्थित अखंड धाम श्री बजरंगबली आश्रम तक सफाई करते हैं। यह काम व 1991 से लगातार करते आ रहे हैं। 52 वर्ष की उम्र में भी उनके जज्बे में कमी नहीं दिख रही है। हालांकि इधर तीन चार माह से थोड़ा अस्वस्थ्य  होने के कारण व सप्ताह में मंगलवार और शनिवार को ही अभियान चलाते हैं। 

अगली स्लाइड में जानें कैसे करते हैं लड़कियों की शादी में मदद... 

लड़कियों की शादी में देते पांच हजार की मदद

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लड़कियों की शादी में देते पांच हजार की मदद

क्षेत्र में किसी भी घर में लड़की की शादी हो चाहे वह गरीब हो या फिर अमीर वहां पहुंच कर रमेश पांच हजार रुपए की नकद आर्थिक मदद देते हैं। इसके अलावा वह गरीब लड़कियों की शादी में जितनी मदद हो सकती है करते हैं। इन्होंने अपनी कई भांजियों एवं भतीजियों की शादी अपने ही खर्च पर किया है। हांलांकि इन्होंने शादी नहीं की है।  

शिक्षक के साथ साथ जिला पंचायत सदस्य भी

रमेश पांच विषयों से एमए हैं। जोनिहां कस्बा स्थित महात्मा गांधी इंटर कालेज में यह शिक्षक हैं। इन्होंने स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद से प्राप्त की है। इसके  अलावा यह वार्ड नम्बर 24 से वर्ष 2015 के चुनाव में जिला पंचायत सदस्य भी चुने गए हैं। 

इलाहाबाद से मिली सफाई की प्रेरणा

शिक्षक रमेश बताते हैं कि वह 1990 में इलाहाबाद में बीए की शिक्षा ले रहे थे। जहां भूगोल के शिक्षक डा. आरसी चर्तुवेदी के नेतृत्व में चलाए जा रहे एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) को ज्वाइन किया। जिसके तहत छात्रों का एक दल कैम्प करने के लिए एक गांव गए थे। जहां पर हम लोगों ने सफाई की और लोगों को जागरुक भी किया। तभी से मन में आया कि जब हम दूसरे गांव में जाकर सफाई कर सकते हैं तो अपने गांव को क्यों नहीं साफ किया जा सकता है। वहां से वापस आने के बाद 1991 से सफाई के प्रति करना शुरू कर दिया।