प्रेम की परिभाषा है रामचरित मानसः स्वतंत्र देव सिंह
कानपुर में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने रामचरित मानस को प्रेम की परिभाषा बताया। मोतीझील में अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था मानस संगम के 43वें तुलसी जयंती समारोह में उन्होंने कहा कि प्रेम की कमी...
कानपुर। रामचरित मानस प्रेम की परिभाषा है। राम को प्रेम करो, कृष्ण से प्यार करो। छोटे-बड़ों के साथ परिवार से प्यार करो। पुष्प और प्रकृति से प्यार करो, यह ही रामचरित मानस है। जहां पर भी प्रेम की भावनाएं कम होंगी वहां अत्याचार और अपराध बढ़ता जाएगा। यह बात प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने रविवार को मोतीझील में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था मानस संगम के 43वें तुलसी जयंती समारोह में कही। कार्यक्रम में सीमा ढींगरा को डॉ. बद्री नारायण तिवारी स्मृति सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भक्ति संगीत अर्चना से की गई। कविता सिंह की देखरेख में लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी के बच्चों ने भजनों की प्रस्तुति से मन मोह लिया। आचार्य योगेश महाराज ने राम स्तुति और कजरी गायन प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि रामायण धर द्विवेदी, दीन मोहम्मद दीन, दिलीप दुबे, विश्वनाथ तिवारी विश्व ने अपनी रचनाओं के माध्यम से तुलसी जी को काव्यांजलि समर्पित की। डॉ. चंद्राशु महाराज ने कहा कि भारत ने कभी किसी देश पर अपनी तरफ से आक्रमण नहीं किया है। यह प्रेरणा रामचरित मानस और प्रभु राम के चरित्र से ली गई है। माता सीता की सुरक्षा में प्राण समर्पित करने वाले जटायु महाराज से नवयुवकों को प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम में सांसद रमेश अवस्थी ने कहा कि तुलसी दास सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम प्राचीन परंपरा से जोड़ते हैं। विधायक सलिल विश्नोई व प्रकाश पाल ने भी विचार रखे। यहां कार्यक्रम संयोजक विजय नारायण तिवारी, डॉ. प्रदीप दीक्षित, एमएलसी अरुण पाठक, सुरेंद्र मैथानी, मनोज सेंगर, रीता शास्त्री, दीपू पांडेय रहे।
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