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सर्दी बढ़ने से निमोनिया की बीमारी ने पसारे पांव

सर्दी बढ़ने के बाद खांसी,जुकाम बुखार के साथ बच्चों में निमोनिया की चपेट में भी बड़ी संख्या में बच्चे आने लगे हैं। इसके लक्षण भी आम बीमारियों से मिलते जुलते हैं। लेकिन निमोनिया को लोग आम तौर पर मामूली...

सर्दी बढ़ने से निमोनिया की बीमारी ने पसारे पांव
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरWed, 02 Jan 2019 10:45 PM
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सर्दी बढ़ने के बाद खांसी,जुकाम बुखार के साथ बच्चों में निमोनिया की चपेट में भी बड़ी संख्या में बच्चे आने लगे हैं। इसके लक्षण भी आम बीमारियों से मिलते जुलते हैं। लेकिन निमोनिया को लोग आम तौर पर मामूली बीमारी समझ लोग नजर अंदाज करने की गलती करते हैं। इस कारण यह बीमारी रोगी के लिए बेहद खतरनाक हो जाती है।

दिनों दिन बढ़ रही सर्दी के साथ खांसी जुकाम के बाद निमोनिया का खतरा भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। निमोनिया ज्यादातर बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के हमले से होता है। मौसम बदलने, सर्दी लगने, फेफड़ों पर चोट लगने के अलावा खसरा चिकनपॉक्स जैसी बीमारियों के बाद भी इसकी आशंका बढ़ जाती है। टीबी, एचआईवी पॉजिटिव, अस्थमा, डायबिटीज, कैंसर व दिल के रोगियों को निमोनिया होने की आशंका ज्यादा होती है। निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसमें फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। आम तौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10 से 12 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन कई बार यह खतरनाक भी हो जाता है। खासकर पांच साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को खतरा अधिक रहता है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौतों में 18 फीसदी सिर्फ निमोनिया की वजह से होती हैं। जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय अग्रवाल का कहना है कि निमोनिया में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में एक तरह का संक्रमण होता है। जो फेफड़े में लिक्विड जमा करके खून और ऑक्सीजन के फ्लो में रुकावट मिलता है। बीमारी के लक्षण बताते हुए डॉ. विनय अग्रवाल ने बताया कि निमोनिया में बलगम वाली खांसी, सीने में दर्द, तेज बुखार और सांस तेजी से चलना इसके प्रमुख लक्षण हैं। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। निमोनिया का अटैक बच्चों पर ज्यादा होता है। खास तौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया होने पर सांस लेने में दिक्कत होती है। अगर सर्दी जुकाम ठीक नहीं हो रहा है तो बिना समय गंवाए चिकित्सक को दिखाएं और छाती का एक्सरे करवाएं जिससे निमोनिया होने या न होने का पता चल सके।

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