डिजिटल लेबर चौक से घर बैठे पूरी होंगी जरूरतें
Kanpur News - घर का रंगरोगन कराना हो या फिर आलमारी व लकड़ी का काम करवाना हो। यहां तक कि पूरा घर बनवाना हो, तो अब शहर के चौक पर जाकर लेबर, मिस्त्री, पेंटर, कारपेंटर...
घर का रंगरोगन कराना हो या फिर आलमारी व लकड़ी का काम करवाना हो। यहां तक कि पूरा घर बनवाना हो, तो अब शहर के चौक पर जाकर लेबर, मिस्त्री, पेंटर, कारपेंटर नहीं ढूंढ़ना पड़ेगा। एक क्लिक करते ही समस्या का समाधान करने वाला हुनरमंद आपके घर पर होगा। इसके लिए आईआईटी कानपुर के इंक्यूबेटर चंद्रशेखर मंडल ने ऑनलाइन डिजिटल लेबर चौक यानी एक खास वेबसाइट बनाई है।
आईआईटी कानपुर के इंक्यूबेटर चंद्रशेखर मूलत: बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। चंद्रशेखर ने मास्टर ऑफ कॉमर्स की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली स्थित एक फाइनेंस कंपनी में नौकरी की। मजदूरों का भला करने को 24 साल की उम्र में दो साल पहले स्टार्टअप शुरू किया।
वर्तमान में डिजिटल लेबर चौक से हर विधा के 50 हजार से अधिक कामगार जुड़े हैं। कंपनी को भारत सरकार, एमएसएमई मंत्रालय समेत विभिन्न सरकारी व निजी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। आईआईटी में होने वाले सिटी के इनवेस्टर समिट के लिए भी स्टार्टअप को चयनित किया गया है। इसमें देश नहीं, दुनिया के कई बड़े इनवेस्टर हिस्सा लेंगे,जिनके सामने स्टार्टअप को प्रेजेंटेशन का मौका मिलेगा।
लॉकडाउन में समस्या देखकर आया ख्याल
चंद्रशेखर ने बताया कि दिल्ली में थे तो कंपनी के पास ही लेबर मंडी थी। वहां अक्सर मजदूरों का उदास चेहरा देखता था। पूछने पर मालूम पड़ा कि चार-चार दिन धूप, बारिश में खड़े होने के बावजूद काम नहीं मिलता है। घर का चूल्हा भी नहीं जलता है। तभी ख्याल आया कि कुछ किया जाए। जब लॉकडाउन में समस्या बढ़ी तो ठान लिया कि कुछ मदद करनी है।
ये सुविधाएं मिलेंगी
फर्नीचर, दरवाजे-खिड़कियों का काम, वायरिंग व लाइटिंग, टॉयलेट का काम, प्लास्टर, पेंटिंग, रेनोवेशन, पानी व पाइपलाइन का काम।
साल भर में सभी मेट्रो सिटी में सुविधा
अभी डिजिटल लेबर चौक से दिल्ली, एनसीआर और बिहार में सुविधा मुहैया कराई जा रही है। अगले साल तक यह सुविधा सभी मेट्रो सिटी में होगी। हालांकि, अब भी किसी कंपनी को 50 से अधिक मजदूर 15 दिन से अधिक समय के लिए चाहिए होते हैं तो स्टार्टअप मुहैया कराती है।
ऐसे करता है काम
डिजिटल लेबर चौक वेबसाइट खोलते ही विभिन्न समस्या के लिए विकल्प नजर आएंगे। विकल्प पर क्लिक करते ही मोबाइल नंबर डालना होगा जिस पर ओटीपी आएगा। इसे भरते ही समस्या का समाधान करने वाले की जानकारी आएगी।
मदद को छोड़ दी जॉब
चंद्रशेखर ने बताया कि मजदूरों का भला करने के लिए 30 सितंबर 2020 को नौकरी छोड़ दी। आर्थिक स्थिति खराब हुई तो वापस घर चला गया और डिजिटल लेबर चौक बनाना शुरू कर दिया। अगस्त 2021 में एक सॉफ्टवेयर कंपनी ने मदद की और यह सफर तेज हो गया।
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