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BOLE KANPUR : कब्जा-कटौती और जलभराव का रोग, देसी मैनचेस्टर में उजड़ रहे उद्योग

Kanpur News - कानपुर के उद्योगपति दशकों से समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिसमें अवैध कब्जे, बिजली की कटौती और सफाई की कमी शामिल हैं। उद्यमियों का कहना है कि सरकारी अधिकारी उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते, और...

Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरThu, 13 Feb 2025 02:38 PM
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BOLE KANPUR : कब्जा-कटौती और जलभराव का रोग, देसी मैनचेस्टर में उजड़ रहे उद्योग

कानपुर। कानपुर की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में भी है। यही सोचकर यहां से सालों पहले कारोबार शुरू किया था। दशकों पहले जिन हालातों के बीच खड़े थे, आज भी वहीं स्थितियां हमारे सामने हैं। दस से बीस फिर सौ से हजार अब तो औद्योगिक इकाइयों की लंबी कतार है, लेकिन समस्याओं ने हमारा पीछा नहीं छोड़ा। वरिष्ठ उद्यमी तरुण खेत्रपाल कहते हैं कि जनाब, सुविधाओं की अब कोई बात करता हैं तो लगता है कि हमारा मजाक बना रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में कब्जा, बिजली कटौती और जलभराव का रोग लग गया है। ऐसे में देसी मैंचेस्टर में उद्योग उजड़ रहा है। हम उद्यमी सालों से बार-बार एक ही बात कहते चले आ रहे हैं लेकिन किसी अफसर ने तनिक भी गंभीरता से नहीं लिया। समाधान का आदेश जरूर किया पर वह आदेश कहां गया यह तो हम उद्यमी आजतक नहीं समझ सके। उनके बगल में ही बैठे आलोक अग्रवाल का मिजाज भी कुछ अलग नहीं रहा। भर मुठ्ठी टैक्स जमा करने के बाद भी समस्याओं से लड़ने की कसक चेहरे पर साफ झलकती है। कहते हैं कि आप सिर पटक लीजिए यहां बिजली, सफाई, सुरक्षा के मुद्दे कभी समाधान की राह नहीं पकड़ने वाले हैं। विभागों को सिर्फ राजस्व लेना याद है, सुविधाएं देना नहीं।

अवैध कब्जों की भरमार, रोकने-टोकने पर लड़ने को तैयार :

वरिष्ठ उद्यमी सुनील वैश्य कहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों का सबसे बड़ा दुख यहां जगह-जगह अवैध कब्जे हैं। समय के साथ इनका दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों की मुख्य सड़क पर ही अवैध कब्जों की भरमार है। थम्सअप चौराहा तो सबसे ज्यादा अराजक तत्वों की गिरफ्त में है। खानपान के ठेले लगाकर रास्ता ही रोक दिया जाता है। अगर आपने किसी को रोकने या टोकने का प्रयास किया तो अवैध कब्जा लगाने वाले लड़ने को तैयार हो जाते हैं।

तीन गुना हाउस टैक्स, एक भी सफाई कर्मी नहीं :

औद्योगिक क्षेत्र में सालों से दवा उद्यम चलाने वाले अरुण भाटिया कहते हैं कि नगर निगम की ओर से सफाई के लिए यहां कोई भी कर्मचारी नहीं रखा गया है। हाउस टैक्स की वसूली तीन गुना ज्यादा की दर से होती है। इस वजह से इकाइयों के बाहर या आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता है।

लोकल फॉल्ट ने उड़ाया सुख-चैन

औद्योगिक क्षेत्रों पर बिजली लोकल फॉल्ट की मार पड़ रही है। उद्यमी विक्रांत अग्रवाल, विवेक निगम कहते हैं कि बिजली व्यवस्था आज भी पुराने ढांचे पर टिकी है। दिन में कई बार लोकल फॉल्ट होने से उत्पादन पर असर पड़ता है। उद्योग बंधु की कई बैठकों में लगातार इस मुद्दे को उठाया गया पर कभी किसी ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया। सड़क पर कई जगह खतरनाक ट्रांसफॉर्मर भी रखे हंै, इससे हर वक्त अनहोनी का डर सताता है। पहले कई बार हादसे होते भी बचे हैं। यह बड़ी समस्या है, जिसका निदान प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए। इसके बावजूद अबतक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया।

भोर में कबाड़ी बनकर घूमते हैं अराजकतत्व : औद्योगिक क्षेत्रों की सबसे बड़ी परेशानी अराजकतत्व और चोर से है। अवैध ठेले और शराब के ठेकों के पास इनकी चहलकदमी रहती है। इसके बाद भोर तीन से चार बजे यह कबाड़ी बनकर चोरी के इरादे से बेहिचक घूमते हैं। इकाइयों में काम करने वाले कर्मियों की मिलीभगत से यह बेकार उपकरण की चोरी करने में माहिर हैं। कई बार मामले पकड़े भी जा चुके हैं। इनकी अराजकता पर रोक लगाने के लिए कभी कोई प्रयास नहीं हुआ है।

बोले उद्यमी

पुरानी समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हुआ। हम लोग आखिर कब तक एक ही बात बार-बार कहते रहें। हम थक चुके हैं। सरकारी मशीनरी को गंभीर होना चाहिए। तरुण खेत्रपाल

पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईआईए

राजस्व देने में उद्यमी पीछे नहीं हैं, इसके बावजूद समस्याओं का जाल बिछा है। मामूली सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं हैं। अफसरों को अन्य शहरों से सीख लेने की जरूरत है।

आलोक अग्रवाल, राष्ट्रीय महामंत्री, आईआईए

हमारी समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी गंभीर नहीं है। उद्योग बंधु ही नहीं बल्कि कई बार यहां की जरूरतों को रखा गया। आश्वासन मिलने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।

सुनील वैश्य, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईआईए

सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है। आए दिन चोरियां भी होती हैं। पुलिस को रात में गश्त ठीक से करने की जरूरत है। कबाड़ी बनकर चोर घूमते रहते हैं। रोक लगनी चाहिए।

विक्रांत अग्रवाल, उद्यमी

औद्योगिक क्षेत्र में कोई भी सीधे प्रवेश कर रहा है। इसके लिए घेराबंदी की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति आता है तो उसके बारे में सही जानकारी के बाद रही प्रवेश दिया जाए। ममता शुक्ला, वरिष्ठ उद्यमी

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