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सादगी के लिए पहचानी जाती थी कमलरानी वरुण

-राजनीतिक विवादों से दूर अपने क्षेत्र को ही देती थीं समय

सादगी के लिए पहचानी जाती थी कमलरानी वरुण
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरMon, 03 Aug 2020 04:35 AM
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-राजनीतिक विवादों से दूर अपने क्षेत्र को ही देती थीं समय

-शहर में रहने के बावजूद निर्वाचन क्षेत्र में ही सक्रिय रहीं

कानपुर। मुख्य संवाददाता

कमलरानी वरुण अपनी सादगी और सहृदयता के लिए देश और प्रदेश की राजनीति में हमेशा याद की जाती रहेंगी। पार्षद, फिर सांसद, विधायक और कैबिनेट मंत्री जैसे ओहदे पर रहने के बावजूद राजनीतिक चकाचौंध से दूर रहीं। कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद बर्रा-4 के लोग नहीं जान पाते थे कि वह कब आईं और कब चली गईं। हमेशा ध्यान रखा कि उनकी वजह से आसपास के लोगों को किसी तरह की तकलीफ नहीं होनी चाहिए।

तीन कमरे के घर में वह इकलौती बेटी स्वप्निल और दामाद मनीष सिंह के साथ रहती थीं। घर की पहली मंजिल पर पुखरायां के राजू सचान आज भी किराएदार हैं। राजू कहते हैं कि रिश्ता निभाना कोई उनसे सीखे। अहसास ही नहीं हुआ कि वह कैबिनेट मंत्री के घर में किराएदार हैं। जब से कानपुर आए तब से यहीं रह रहे हैं। हमेशा बेटे जैसा व्यवहार रहा।

कानपुर प्रवास के दौरान वह खुद किचन संभालती थीं। खाना बनाने और खिलाने का शौक कोई कैसे भूल सकता है। ऐसा नहीं कि वह यह सब अभी कर रही थीं। जब सांसद, विधायक रहीं, तब भी वह खुद ही किचन संभालती थीं। मंत्री के घर के ठीक सामने रहने वाले अवधेश सचान कहते हैं कि उनकी सादगी कैसे भूल सकते हैं। कभी किसी को अहसास ही नहीं होने दिया कि वह कैबिनेट मंत्री हैं। कॉलोनी के हर व्यक्ति के सुख-दुख में खड़ी रहती थीं।

राजनीतिक विवादों से दूर रहीं

कमलरानी वरुण हमेशा राजनीतिक विवादों से दूर रहीं। अपने जीवन में आधा दर्जन चुनाव देखे लेकिन कभी नहीं सुनने में आया कि किसी से विवाद हुआ हो। सब कुछ धीरे-धीरे चलता रहता था और छोटी मोटी बातों पर कभी ध्यान नहीं दिया। घाटमपुर क्षेत्र के बीसीपुर निवासी रामकुमार द्विवेदी कहते हैं कि दूसरा कमलरानी वरुण पैदा नहीं हो सकता। वह अपने क्षेत्र के लोगों के लिए जीती थीं। हमेशा विकास पर ही चर्चा करती थीं। क्षेत्र में राजनीतिक विरोध तो जैसे था ही नहीं। विरोधी दल के लोग भी उनके अपने थे। कन्धौली के सत्येंद्र द्विवेदी भी उनकी सादगी के कायल हैं। कहते हैं कि ऐसा नेता हमने आज तक नहीं देखा। हर गरीब, अमीर के लिए खड़ी रहती थीं। महेश मिश्रा भी कहते हैं कि उनकी कमी पूरी नहीं की जा सकती।

राजनीतिक विरोधी भी कभी हमलावर नहीं हुए

राजनीति में लंबा वक्त गुजारने के बावजूद उनका किसी से विरोध नहीं रहा। राजनीतिक विरोधी भी उनकी सादगी के कायल थे। चाहे लोकसभा चुनाव रहे हों या फिर विधानसभा। विरोधी दलों के लोग सीधे तौर पर कभी हमलावर नहीं हुए। राजनीतिक टिप्पणी भी किसी ने नहीं की। राजनीति दलगत, विचारों और मूल्यों की रही। कमलरानी वरुण ने भी कभी विरोधी दलों के लोगों को सीधे तौर कोई टिप्पणी नहीं की। लोग उनका सम्मान करते थे और वह लोगों का।

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