ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश कानपुरइस तरह बिना शिनाख्त जीआरपी ने विश्वनाथ को भिखारी बना दिया

इस तरह बिना शिनाख्त जीआरपी ने विश्वनाथ को भिखारी बना दिया

प्लेटफार्म पर किसी मुसाफिर की मौत हो जाए तो जीआरपी बिना जांच-पड़ताल उसे भिखारी भी बना सकती है। 17 मई को प्लेटफार्म नंबर छह पर दम तोड़ने वाले गोरखपुर...

इस तरह बिना शिनाख्त जीआरपी ने विश्वनाथ को भिखारी बना दिया
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरSun, 26 Jun 2022 01:30 PM
ऐप पर पढ़ें

प्लेटफार्म पर किसी मुसाफिर की मौत हो जाए तो जीआरपी बिना जांच-पड़ताल उसे भिखारी भी बना सकती है। 17 मई को प्लेटफार्म नंबर छह पर दम तोड़ने वाले गोरखपुर के विश्वनाथ के साथ यही किया गया। वह चार साल तक मुंबई में कमाई करके लौट रहे थे। जीआरपी ने उनकी शिनाख्त में लापरवाही करके परिवार को मुखाग्नि के अधिकार से तो वंचित किया ही, कागज पर उन्हें भिखारी भी दर्ज कर दिया। विश्वनाथ की अंतिम निशानियां लेने आए उसके भतीजे को दिए गए दस्तावेजों में यह पढ़ कर परिवार मर्माहत है।

गोरखपुर के बिस्टौली खुर्द निवासी विश्वनाथ साहनी जनवरी 2018 में मुंबई गए थे और तब से वहीं थे। वह चार साल बाद 16 मई 2022 को लौट रहे थे, जिनका कानपुर से कोई वास्ता नहीं था, उनके बारे में जीआरपी ने लिखा, ‘फोटो खींच कर प्लेटफार्म पर वेंडरों आदि को दिखा गया तो उन्होंने बताया कि यह अक्सर यहीं मांगते-खाते देखा जाता था।

विश्वनाथ 16 मई को दिन में लगभग दो बजे सुल्तानपुर एक्सप्रेस से कानपुर सेंट्रल पर उतारे गए थे। उनकी तबीयत खराब थी। उनके पास एक बैग था और जेब में 15 हजार रुपये। आरपीएफ के मुताबिक स्टेशन पर इलाज के बाद उन्हें आगे की यात्रा के लिए जाने दिया गया। उधर जीआरपी के मुताबिक 16/17 मई की रात में ढाई बजे वह प्लेटफार्म नंबर छह पर अचेत मिले। आधे घंटे के भीतर ही डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जीआरपी ने शिनाख्त किए बिना अज्ञात बता दिया।

इस तरह तैयार किया गया पंचायतनामा : 17 मई की सुबह पंचायतनामा में अंकित किया गया कि मौत के बाद प्लेटफार्म नंबर छह के दिल्ली छोर पर भीड़ लगी थी। मृतक की मोबाइल से फोटो खींचककर रेलवे स्टेशन, सर्कुलेटिंग एरिया, घंटा घर चौराहा और टाट मिल चौराहा पर लोगों को पहचानने को कहा गया। कुछ लोगों ने बताया कि यह व्यक्ति स्टेशन पर मांगकर खाते-पीते देखा गया है। जीआरपी ने पंचायतनामा में विश्वनाथ को भिखारी बना दिया।

गवाहों के नंबर नहीं : हर हाथ में मोबाइल वाले दौर में जीआरपी के गवाहों के पास मोबाइल नंबर नहीं होते। विश्वनाथ के पंचायतनामा में विकास कुमार, कुलदीप सिंह, जयकुमार, विकास और उमाशंकर का नाम पंच के रूप में अंकित है। इनमें सिर्फ विकास का नंबर दर्ज है।

भतीजे ने पहचान लिया सिपाही को

विश्वनाथ के भतीजे मुकेश साहनी गुरुवार की रात जीआरपी थाने पहुंचे तो इंस्पेक्टर जीआरपी के सामने ही उन्होंने उस सिपाही की पहचान कर ली जिसने उनसे और चाची चंदा देवी से 20 मई की सुबह यह कहा था कि यहां इस फोटो जैसा कोई आदमी नहीं आया।

चस्पा ही नहीं थी विश्वनाथ की फोटो

जीआरपी का दावा है कि शव की फोटो पोर्टल पर डाली गई। थानों में भी फोटो चस्पा करने को भेजा। 17 को जीआरपी ने शव को मोर्चरी भेजा मगर 20 मई को उस वक्त तक थाने में विश्वनाथ की फोटो अज्ञात के रूप में भी नहीं लगी थी। अगर ऐसा होता तो चंदा को पति के अंतिम दर्शन भी हो गए होते।

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें