Impact of January Temperature on Rabi Crop Production Wheat at Risk ::::सभी केंद्रों के ध्यानार्थ::::वेब पर न चलाएं पहला पखवाड़ा तय करेगा फसलों का भविष्य, Kanpur Hindi News - Hindustan
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::::सभी केंद्रों के ध्यानार्थ::::वेब पर न चलाएं पहला पखवाड़ा तय करेगा फसलों का भविष्य

Kanpur News - जनवरी के पहले पखवाड़े में तापमान में गिरावट नहीं आई, तो रबी फसलों का उत्पादन प्रभावित होगा। दिसंबर में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने से गेहूं को 25-30 फीसदी नुकसान हो सकता है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरMon, 30 Dec 2024 10:18 PM
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::::सभी केंद्रों के ध्यानार्थ::::वेब पर न चलाएं पहला पखवाड़ा तय करेगा फसलों का भविष्य

- जनवरी के पहले पखवाड़े में पारा न गिरा, तो उत्पादन होगा कम - दिसंबर में रात का पारा 8, दिन का 22 से कम हो तो होगा लाभ

कानपुर वरिष्ठ संवाददाता

नए साल के पहले पखवाड़े का अधिकतम और न्यूनतम तापमान तय करेगा कि रबी की फसलों का भविष्य क्या होगा। दिसंबर में वर्ष 1995 के बाद रात-दिन के तापमान ज्यादा रहे हैं। वैसे उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार 1972 से अब तक पूरे सीजन जैसा ट्रेंड पहले कभी नहीं रहा है। तापमान बढ़ा तो गेहूं को 25-30 फीसदी नुकसान तय है।

अक्तूबर से लेकर दिसंबर तक तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहे हैं। दिसंबर में अपवाद छोड़ शेष दिवसों में पूरे प्रदेश में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी अधिक रहे हैं। यदि दिसंबर में तापमान अधिक रहते हैं तो गेहूं की सेहत प्रभावित हो जाती है। दाना काफी हल्का रह जाता है। आईएमडी के दिए आंकड़ों के अनुसार 1995 में 16 दिसंबर को अधिकतम तापमान 31.4 डिग्री सेल्सियस रहा था। न्यूनतम पारा 2009 के बाद से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 21 दिसंबर 2015 को 0.8 डिग्री रहा था। बारिश केवल 2009 और 2015 में हुई। वर्ष 2015 में बारिश 25.8 मिमी बारिश हुई थी।

आईएमडी के अनुसार दिसंबर का मीन न्यूनतम पारा 08.7 और अधिकतम पारा 24.4 डिग्री है। ऐसे में लगातार उच्च तापमान रहने से ही फसलों के उत्पादन पर असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि पूरे प्रदेश में दिन के तापमान औसतन 26 से 30 के करीब, रात का पारा 12-16 डिग्री के बीच रहा है। रात का पारा अब 08 और दिन का 22 से कम या आसपास रहता है तो यह अनुकूल माना जाएगा।

मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि यदि 15 जनवरी तक रात और दिन के तापमान औसत से अधिक हुए तो फसलों में विशेषकर गेहूं में वृद्धि रुक जाएगी। दलहनी फसलों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। तिलहन केवल ओलावृष्टि से प्रभावित हो सकती है जिसकी संभावना अब कम है। करीब 25 से 30 फीसदी गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है। आलू की फसल सर्वाधिक प्रभावित हो सकती है। इसमें अनेक प्रकार के रोग लग सकते हैं। अरहर, बाजरा, ज्वार, कपास, मक्का, दलहन और तिलहन आदि ठीक रहेगी।

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