स्वदेशी डिजिटल भुगतान अब और अधिक सुरक्षित व आसान होगा। इसकी जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों को दी गई है। डिजिटल लेनदेन को पूरी तरह साइबर सुरक्षित करने की तकनीक विकसित की जाएगी। इसको लेकर आईआईटी कानपुर और एनपीसीआई (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) के बीच एक एमओयू हुआ है। इस समझौते के तहत एनपीसीआई के साथ मिलकर आईआईटी के वैज्ञानिक मजबूत डिजिटल भुगतान समाधान विकसित करेंगे। मुख्य रूप से साइबर सुरक्षा पर काम होगा।
आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि डिजिटल लेनदेन और डेटा स्टोरेज के लिए सुरक्षित और अभिनव समाधान विकसित करने में संस्थान अग्रणी रहा है। संस्थान में बनी अत्याधुनिक लैब सी3आई में लगातार साइबर सुरक्षा पर काम चल रहा है।समझौते के तहत ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), सुरक्षा उत्पाद रोडमैप और डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी में विशेष काम होगा। साथ ही एनपीसीआई में आईआईटी कानपुर के छात्रों को इंटर्नशिप का मौका मिलेगा। एनपीसीआई के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी एंटनी प्रकाश ने कहा कि विभिन्न समस्याओं का समाधान आईआईटी के वैज्ञानिक तकनीक से दूर करेंगे। आईआईटी के प्रो. संदीप शुक्ला ने कहा कि साइबर सुरक्षा और डिजिटल डेटा को लंबे समय तक गोपनीय रखने के क्षेत्र में पहले से वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी विकसित की जा चुकी है। जल्द डिजिटल भुगतान को सुरक्षित करने का पूरा सिस्टम विकसित किया जाएगा।
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