सर्वे में मदरसा को स्कूल बताया तो खुद फंसेंगे
सर्वे में मदरसा को स्कूल बताया तो फंस सकते हैं। स्कूल शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में स्कूल तो आते हैं लेकिन मदरसा और वैदिक गुरुकुल आदि को इससे छूट...
सर्वे में मदरसा को स्कूल बताया तो फंस सकते हैं। स्कूल शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में स्कूल तो आते हैं लेकिन मदरसा और वैदिक गुरुकुल आदि को इससे छूट है। सुप्रीम कोर्ट फरवरी 2022 में इसके विरोध में दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर चुका है।
प्रदेश सरकार दीनी मदरसों का सर्वे करा रही है। इसके लिए कुछ बिंदु निर्धारित किए गए हैं। शहर में ऐसे 300 से ज्यादा दीनी मदरसे हैं जिनमें कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने उप्र मदरसा शिक्षा बोर्ड या बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता नहीं ली है, लेकिन स्कूली पाठ्यक्रम चलाते हैं। जमीअत उलमा की प्रांतीय इकाई ने प्रांत स्तर पर बैठक कर अपनी गाइडलाइन जारी कर दी है।
दीनी मदरसा संचालकों को दी सलाह
दूसरों के फॉर्म इकट्ठा कर सामूहिक रूप से न जमा करें। जो सवाल पूछा जाए उसका उतना ही जवाब दें। दीनी मदरसों को आरटीई से छूट है। दीनी मदरसा को बचने के लिए स्कूल बताया तो एक लाख का जुर्माना होगा और कानूनी कार्रवाई अलग से। आरटीई में बिना मान्यता के स्कूल नहीं चला सकते। हॉस्टल से जुड़े सवाल राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए दें।
इन बातों का जरूर ख्याल रखें
भूमि संपत्ति, भवन का निर्माण और नक्शे की मंजूरी, आय के साधन और मदरसा चलाने वाली तंजीम या ट्रस्ट का पंजीकरण आदि के कागजात को सुधार लें।
सलाह के लिए मजलिस का गठन
दीनी मदरसों के सर्वे से पहले या सर्वे के दौरान किसी को कोई सलाह चाहिए तो उसके लिए 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। मौलाना शब्बीर मजाहिरी (लखनऊ) की कंवीनरशिप में गठित कमेटी में जमीअत के प्रांतीय उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्लाह कासिमी (कानपुर) को शामिल किया गया है।जमीअत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना हकीम उद्दीन कासिमी, मुफ्ती जफर कासिमी (फर्रुखाबाद), मौलाना कलीम उल्लाह (अंबेडकर नगर), मौलाना इस्लामुल हक (लखीमपुर), सैय्यद हुसैन (लखनऊ), कारी जाकिर हुसैन (मुजफ्फर नगर), मौलाना अलाउद्दीन (हापुड़) और मौलाना मुनीब अहमद (लखनऊ)।
आज से काम करेगी हेल्पलाइन
टोल फ्री-09355950955