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बोलने में कम और कर दिखाने में ज्यादा यकीन रखते थे जनरल रावत

(फोटो हैं, सभी कीं) -वरिष्ठ सैन्य अफसरों ने यादें साझा कीं कानपुर।

बोलने में कम और कर दिखाने में ज्यादा यकीन रखते थे जनरल रावत
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरWed, 08 Dec 2021 09:15 PM
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(फोटो हैं, सभी कीं)

-वरिष्ठ सैन्य अफसरों ने यादें साझा कीं

कानपुर। वरिष्ठ संवाददाता

शौर्य और साहस के पर्याय जनरल बिपिन रावत के आकस्मिक निधन से सैन्य अफसर भी स्तब्ध हैं। उनके इस तरह से विदा हो जाने से तमाम यादें उनके जेहन में ताजा हो गई हैं। कानपुर में तैनात रहे वरिष्ठ सैन्य अफसरों को जनरल का व्यवहार और बातें अच्छी तरह से याद हैं। साथियों के साथ जब भी मिलते थे तो तमाम मुद्दों पर चर्चा का एक ही विषय होता था- सबसे पहले देश। एक साथ कई मोर्चों पर लोहा लेने में उन्हें महारथ हासिल थी। उच्चस्थ पद पर होने के बावजूद उनका सरल और सादा जीवन प्रेरणास्रोत था। जनरल बिपिन रावत से जुड़ी यादों की बातचीत के कुछ अंश....

कुशल नेतृत्व से आया तीनों सेना में पैनापन

पूर्व आर्मी चीफ बिपिन रावत के साथ काम करने का मौका मिला है। वे जब कोर कमांडर, आर्मी कमांडर बने, तब मुलाकात हुई थी। जब इलाहाबाद में था, तब वे वहां आए थे और सभी कमांडरों से बात हुई थी। वे कम बोलते थे लेकिन सटीक बोलते थे। सरल व्यक्तित्व के धनी और सादा जीवन जीने के सिद्धांत पर चलते थे। उन्होंने भारतीय सेना को कुशल नेतृत्व प्रदान किया। एक खालीपन लग रहा है। उनके शानदार नेतृत्व में सेना के तीनों अंगों में आया पैनापन उन्हीं की देन है। उनके जैसा ही कुशल सैन्य अधिकारी आगे भी इस पद पर आए तो तीनों सेना को बल मिलेगा। यह अपूर्णनीय क्षति है। खराब बहुत लग रहा है लेकिन हम सैनिक हैं। हर तरह की स्थिति का सामना करना ही हमारा फर्ज है।

-ब्रिगेडियर नवीन सिंह, वीआरसी, वीएसएम

हाइब्रिड वार में दक्षता हासिल थी

सीडीएस बिपिन रावत के साथ आपरेशन पराक्रम में काम करने का मौका मिला। 1999 में वे जीओसी थे। बेहद तेजतर्रार अधिकारी होने के साथ जाबांज सैनिक और अच्छे निशानेबाज थे। उन्हें हाइब्रिड वार में महारथ हासिल थी। दो फ्रंट में एक साथ काम करने की रणनीति बनाने में माहिर थे। एके-47 से उनका अचूक निशाना था। हमेशा कहते थे कि निशाना खाली नही जाना चाहिए। किसी भी हालात के लिए हर वक्त तैयार रहने की उनकी इच्छाशक्ति पूरी सेना को जोश से भर देती थी। उन्होंने देश की खुफिया विंग को काफी मजबूत किया। देशहित में अनेक संशोधन किए और सेना को काफी मजबूत किया। उनके लिए देश से ऊपर कुछ नहीं था।

-कर्नल डॉ. जाहिद सिद्दीकी (रिटायर), सेना मेडल

युद्ध में कम से कम खून बहे, हमेशा देते थे ट्रेनिंग

पूर्व आर्मी चीफ बिपिन रावत से कई मुलाकात हुईं। वे बहुत ही वरिष्ठ अधिकारी थे, इसलिए सीधी बातचीत तो बहुत कम हुई लेकिन सीखने को बहुत कुछ मिला। जब मैं 2018-19 में रिटायर हुआ, तब वे आर्मी चीफ थे। वर्ष 2017-18 में सूरतगढ़ कैंटोनमेंट में रेजिंग डे कार्यक्रम में बिपिन रावत जी आए थे। उन्होंने मुझे व नए अफसरों को बुलाकर सेना के बारे में बताया था। कहा था कि युद्ध में कम से कम खून बहना चाहिए, इसकी जिम्मेदारी लीडर की होती है। लीडर के लिए सैनिक परिवार की तरह होना चाहिए। वे एक अच्छे अधिकारी थे।

-कर्नल डॉ. अंजनी कुमार मिश्र (रि.)

सैनिकों संग उनके परिवारों की भी करते थे चिंता

सीडीएस बिपिन रावत से वर्ष 1994-95 के दौरान कई मुलाकातें हुईं। तब मैं आर्मी हेडक्वार्टर डीजीआर में एक साल के लिए तैनात था। उस समय बिपिन रावत लेफ्टिनेंट कर्नल थे। वे अक्सर हेडक्वार्टर आते थे। वे जिनको पहचानते थे, उनसे हमेशा कार्य व परिवार के बारे में हालचाल जरूर लेते थे। उनका सेना व सिविल दोनों के प्रति अच्छा सामंजस्य था। वैसे मेरी वास्तविक तैनाती 6 राजपूताना राइफल्स में थी। बिपिन रावत एक शानदार सैन्य अधिकारी थे और उन्होंने भारतीय सेना को बहुत कुछ दिया।

-गोविंद सिंह राठौर (रि. जेसीओ)

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