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यूपीः पूर्व राज्यसभा सांसद एंव राष्ट्रपति के मित्र ईश्वरचंद्र गुप्त नहीं रहे

पूर्व राज्यसभा सांसद एंव राष्ट्रपति के मित्र ईश्वरचंद्र गुप्त नहीं रहे, कानपुर में शोक की लहर कानपुर। पूर्व राज्यसभा सांसद एंव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिन्न मित्र ईश्वरचंद्र गुप्त का...

15 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने अभिन्न मित्र ईश्वरचंद्र गुप्त का हाल जानने उनके तिलक नगर स्थित अावास पहुंचे थे। (फाइल फोटो)
1/ 215 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने अभिन्न मित्र ईश्वरचंद्र गुप्त का हाल जानने उनके तिलक नगर स्थित अावास पहुंचे थे। (फाइल फोटो)
पूर्व राज्यसभा सांसद ईश्वरचंद्र गुप्त (फाइल फोटो)
2/ 2पूर्व राज्यसभा सांसद ईश्वरचंद्र गुप्त (फाइल फोटो)
लाइव टीम,कानपुरSat, 04 Nov 2017 02:38 PM
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पूर्व राज्यसभा सांसद एंव राष्ट्रपति के मित्र ईश्वरचंद्र गुप्त नहीं रहे, कानपुर में शोक की लहर
कानपुर। पूर्व राज्यसभा सांसद एंव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिन्न मित्र ईश्वरचंद्र गुप्त का लंबी बीमारी के बाद शनिवार दोपहर 11 बजे निधन हो गया। 85 वर्षीय ईश्वरचंद्र गुप्त कक्षा चार से संघ से जुड़े रहे अौर शहर के बड़े उद्यमी भी थे। वह विभाग संघ चालक, संभाग संघ चालक, प्रांत संघ चालक और क्षेत्र संघ चालक पदों पर रह चुके हैं। अस्वस्थ होने के कारण डेढ़ साल पहले ही उन्होंने क्षेत्र संघ चालक का पद छोड़ा था। उनके निधन की सूचना मिलते ही भाजपा अौर संघ के साथ-साथ उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके तिलक नगर स्थित अावास पर उन्हें श्रृद्धांजलि देने के लिए भारी भीड़ जुटने लगी है। 
ईश्वरचंद्र गुप्त के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अौर मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ।
पहले कानपुर दौरे पर राष्ट्रपति ईश्वरचंद्र से मिलने उनके अावास पर गए थे मिलने
1932 में जन्मे ईश्वरचंद्र गुप्त मूल रूप से देहरादून के रहने वाले थे। ईश्वरचंद्र 1992 से 1998 तक भाजपा से राज्यसभा सदस्य रहे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गरहा नाता रहा है। उनकी पहली मुलाकात सन् 1971 में हुई थी। राज्यपाल रहते हुए अक्सर घर आते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोविंद जी अपने पहले कानपुर दौरे पर उनके घर पहुंचे थे।राष्ट्रपति ने 15 सितंबर को कानपुर के ईश्वरीगंज से स्वच्छता ही सेवा का अागाज किया था। इस कार्यक्रम के बाद वह ईश्वरचंद्र गुप्त का हाल जानने ने उनके तिलकनगर अावास गए थे। करीब एक घंटे तक राष्ट्रपति ने उनके साथ बंद कमरे में गुफ्तगू की थी। 
1959 में शुरू किया था ऑटो मोबाइल का कारोबार
1955 में देहरादून से कानपुर आकर लखनऊ में रहने वाले चाचा के साथ आटो मोबाइल का काम शुरू किया था। इसके बाद 1959 में कानपुर में उन्होंने कैलाश मोटर्स के नाम से आटो मोबाइल का शो रूम खोला था। इसमें उन्हें खासी सफलता मिली। वर्तमान में कैलाश मोटर्स के पास टाटा, हुंडई जैसी बड़ी कंपनियाें की डीलरशिप भी है। ईश्वरचंद्र के अस्वस्थ होने के बाद से उनका  कारोबार उनके पुत्र विनीत गुप्त देख रहे हैं।

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