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चुनावी मुददा, सरकारी खजाने ही भरोगो कि सड़कें भी ठीक कराओगे

कदौरा क्षेत्र का नाम आते ही लोगों की जुबान से लाल सोना मतलब (मौरंग) की चर्चा शुरू हो जाती...

चुनावी मुददा, सरकारी खजाने ही भरोगो कि सड़कें भी ठीक कराओगे
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरWed, 24 Apr 2019 10:57 PM
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कदौरा क्षेत्र का नाम आते ही लोगों की जुबान से लाल सोना मतलब (मौरंग) की चर्चा शुरू हो जाती है।

कुछ ऐसा ही वाक्या मंगलवार को आपके दैनिक हिन्दुस्तान की चौपाल में देखने को मिला। जैसे ही चौपाल शुरू हुई कि ग्रामीणों के बोल और तीखे हो गए। उनके हर एक शब्द में मौरंग के साथ ही यहां से भेजे वाले राजस्व का नाम आ रहा था। उनका कहना था कि जब कदौरा क्षेत्र से अकेले हर माह लाखों का राजस्व शासन को जाता हैं तो फिर यहां की दुर्दशाग्रस्त सड़कों को क्यों ठीक नहीं कराया। विभिन्न रुटों, खासकर घाटों की तरफ जाने वाली तीन सड़कों का बुरा हाल है। स्थिति यह हो गई कि सड़क गड्ढे में है या फिर गड्ढों में सड़क, पता ही नहीं चलता।

वैसे तो पूरे बुंदेलखंड को लाल सोने के रूप में जाता हैं, लेकिन खासकर कदौरा और डकोर ऐसे दो क्षेत्र हैं,जहां का नाम लेते ही लोग मौरंग की बात छेड़ देते हैं। कदौरा में इस समय तकरीबन आधा दर्जन घाट संचालित हो रहे हैं। इनमें करीब 50 खंड बने हुए हैंं। इस तरह से हर माह करीब 50 लाख का राजस्व शासन को जाता है। कदौरा क्षेत्र में 32 गांव आते हैंंं। ग्रामीणों ने बताया कि मौरंग घाटों की वजह से नगर की कानाखेड़ा, भेड़ी-बड़ागांव और कदौरा भेड़ी संपर्क मार्ग बदहाल हो गया है। हालात यह हो गए कि सुबह से लेकर देर रात तक दौड़ने वाले मौरंग से ओवरलोड ट्रकों से इन सड़कों पर बडे़-बडे़ गड्ढे हो गए हैं, जहां पर वाहन निकलते ही धूल के गुबार उठने लगते हैं। उनका मानना था कि बरसात में यहां से गुजरना किसी खतरे से खाली नहीं होता है, क्योंकि गड्ढों में जलभराव हो जाता है। उनमें इस बात को लेकर आक्रोश था कि जब हर महीने राजस्व के रूप में शासन का खजाना भर रहा है तो फिर कदौरा क्षेत्र की जर्जर सड़कों पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि ओवरलोडिंग से बर्बाद हुई सड़कों की सूरत बदल सके।

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