Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़कानपुरED IB are solving crypto currency case with the help of IIT

आईआईटी की मदद से क्रिप्टो करेंसी केस सॉल्व कर रही ईडी, आईबी

क्रिप्टो करेंसी के मामलों को अब ईडी और आईबी की टीम आईआईटी की मदद से हल कर रही है। संस्थान के स्टार्टअप ब्लॉक स्टैश ने एक ऐसा साइबर टूल विकसित किया...

आईआईटी की मदद से क्रिप्टो करेंसी केस सॉल्व कर रही ईडी, आईबी
Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरFri, 2 Aug 2024 05:20 PM
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कानपुर। प्रमुख संवाददाता

क्रिप्टो करेंसी के मामलों को अब ईडी और आईबी की टीम आईआईटी की मदद से हल कर रही है। संस्थान के स्टार्टअप ब्लॉक स्टैश ने एक ऐसा साइबर टूल विकसित किया है, जिसकी मदद से इन केस को हल करना आसान है। इस टूल की मदद से अब तक ईडी और आईबी की टीम दिल्ली, कोच्चि समेत कई शहरों के दस हाईप्रोफाइल मामलों का खुलासा कर चुकी है। इस टूल का उपयोग तेलंगाना पुलिस, पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम भी कर रही है।

संस्थान के स्टार्टअप ब्लॉक स्टैश के फाउंडर दीपेश चौधरी ने बताया कि एकेटीयू से बीटेक करने के बाद आईआईटी कानपुर से एमटेक किया है। उन्होंने बताया कि क्रिप्टो करेंसी को लेकर बढ़ते फ्रॉड के मामले को देखते हुए एक टूल विकसित किया है। वर्ष 2022 में स्टार्टअप ब्लॉक स्टैश के तहत टूल व तकनीक विकसित की। इस टूल की मदद से क्रिप्टो करेंसी से जुड़े फ्रॉड के मामलों को बहुत जल्द ही पुलिस खुलासा कर सकती है।

क्या है क्रिप्टो करेंसी

क्रिप्टो करेंसी 2009 में लांच हुई। यह एक ऐसा माध्यम है जिसमें हजारों नहीं करोड़ों रुपये तक एक स्थान से किसी दूसरे स्थान पर आसानी से भेजे जा सकते हैं। इसके लिए केवाईसी की आवश्यकता नहीं है। लेनेदेन होने वाले व्य​क्तियों के बीच अन्य किसी को भी इसकी जानकारी नहीं होती है।

ऐसे काम करता है साफ्टवेयर

फाउंडर दीपेश चौधरी ने बताया कि वर्तमान दौर में क्रिप्टो के माध्यम से करोड़ों, अरबों का लेनदेन हो रहा है। क्रिप्टो से होने वाले लेनदेन का एक रिकार्ड ब्लॉकचेन में सेव होता रहता है। जितने लोग क्रिप्टोवॉलेट का उपयोग कर रहे हैं, उनके पास भी लेनदेन का रिकार्ड सुरक्षित रहता है। लेकिन, यह जानना मु​श्किल होता है कि लेनदेन किन दो लोगों के बीच हो रहा है। टूल की मदद से जो भी लेनदेन होता है, उसकी एक कॉपी सुरक्षित होती है। हर लेनेदेन के दौरान टैग खोजते हैं और उसे रियल वर्ल्ड के डाटा से मिलान करते हैं। ब्लॉक स्टैश सॉफ्टवेयर उसकी पहचान कर लेता है और लेनदेन करने वाले का पता करता है।

रोजाना हो रहे पांच लाख लेनदेन

दीपेश ने बताया कि रोजाना तकरीबन पांच लाख लेनदेन होते हैं। इनकी रकम कभी अरब तो कभी खरब में पहुंचती है। ​ब्लॉकचेन पर करीब 250 ब्लॉक हैं और हर ब्लॉक में 2000 से अ​धिक लेनदेन हैं।

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