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डॉक्टरों ने रचा इतिहास, अाया था पैर कटवाने अौर चलकर गया अपने पैरों पर

आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर 16 साल पहले खराब हुए पैरों में जान डाल दी। मैनपुरी निवासी 58 वर्षीय इस्लामुद्दीन अपने पैरों पर दोबारा खड़े हो सके। मरीज पैर...

डॉक्टरों ने रचा इतिहास, अाया था पैर कटवाने अौर चलकर गया अपने पैरों पर
हिन्दुस्तान संवाद,इटावा (सैफई) Thu, 01 Jun 2017 07:33 AM
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आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के हड्डी रोग विभाग के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर 16 साल पहले खराब हुए पैरों में जान डाल दी। मैनपुरी निवासी 58 वर्षीय इस्लामुद्दीन अपने पैरों पर दोबारा खड़े हो सके। मरीज पैर कटवाने के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ था, मगर डॉक्टरों ने उसे नया जीवन दे दिया। ऑपरेशन करने वाली टीम को मेडिकल यूनीवर्सिटी के कुलपति ने बधाई दी है। 
16 साल पहले टूटी थी जांघ की हड्डी
हड्डी रोग विभाग के डॉ. अनुराग बघेल ने बताया कि इस्लामुद्दीन के जांघ की हड्डी 16 साल पहले सड़क हादसे में टूट गई थी। उस समय इस्लामुद्दीन ने मैनपुरी, आगरा, दिल्ली के कई अस्पतालों में दिखाया और चार ऑपरेशन भी कराए। तीन ऑपरेशन मैनपुरी और एक बार आगरा में ऑपरेशन हुआ मगर हड्डी जुड़ी नहीं। इस पर सर्जनों ने पैर कटवाने की सलाह दी। इसी बीच इस्लामुद्दीन विश्वविद्यालय के हड्डी रोग विभाग में अपने पैरों को कटवाने के लिए भर्ती हुए। कुछ प्रमुख जांचों के बाद इस्लामुद्दीन के पैरों का एक जटिल ऑपरेशन किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा। अब इस्लामुद्दीन अपने पैरों पर चलकर घर जा सकते हैं। ऑपरेशन काफी जटिल था, पर मिली कामयाबी
कुलपति डॉ. (ब्रिगे) टी. प्रभाकर ने बताया कि विश्वविद्यालय का हड्डी रोग विभाग वर्तमान तकनीकी सुविधाओं से लैस है। इस्लामुद्दीन पिछले दस साल से इन्फेक्टेड नॉनयूनियन विद् वोन लॉस विद ऑसपियोपोरॉसिस विद् मल्टीपल डिस्चार्जिंग साइसेस नामक बीमारी से जूझ रहे थे। इसका ऑपरेशन काफी जटिल होता है। ऑपरेशन करने वाली टीम के डॉ. अनुराग बघेल, डॉ. हरीश कुमार, डॉ. प्रशान्त, डॉ. राजकुमार, डॉ. यतेंद्र, ऐनेस्थिसिया विभाग की डॉ. स्वाति को कुलपति ने बधाई दी है।

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