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बेहोशी के ओवरडोज इंजेक्शन से एमआरआई के दौरान बच्ची की मौत

एमआरआई के दौरान बेहोशी का ओवरडोज इंजेक्शन देने से आठ वर्षीय बच्ची की जान चली गई। बच्ची का इलाज हैलट के बाल रोग विभाग में चल रहा था और उसे एमआरआई के लिए परिसर में स्थित एपी डायग्नोसिस सेंटर भेजा गया...

बेहोशी के ओवरडोज इंजेक्शन से एमआरआई के दौरान बच्ची की मौत
वरिष्ठ संवाददाता,कानपुरFri, 06 Sep 2019 01:30 AM
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एमआरआई के दौरान बेहोशी का ओवरडोज इंजेक्शन देने से आठ वर्षीय बच्ची की जान चली गई। बच्ची का इलाज हैलट के बाल रोग विभाग में चल रहा था और उसे एमआरआई के लिए परिसर में स्थित एपी डायग्नोसिस सेंटर भेजा गया था। परिजनों ने हंगामा किया तो कर्मचारियों ने धमकाकर भगा दिया। परिजन रोते हुए प्रमुख अधीक्षक कार्यालय पर पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। बगैर पोस्टमार्टम के शव लेकर चले गए।


फतेहपुर के खागा कोतवाली के इल्मी किशनपुर निवासी चांदबाबू ने बेटी सोफिया को बाल रोग विभाग में भर्ती कराया था। उसे कार्डिप्लेजिया बीमारी थी। उसे खड़े होने और चलने में दिक्कत थी। बच्ची सुन और बोल रही थी। उसका दिल और दिमाग सही तरीके से काम कर रहा था। परिवार के लोग गुरुवार सुबह करीब 9:30 बजे जांच कराने डायग्नोसिस सेंटर पहुंचे। एमआरआई ब्रेन और स्पाइन की होनी थी। कंट्रास्ट अलग से होना था। सेंटर के कर्मचारियों ने बच्ची को फोर्टविन व फेनारगन इंजेक्शन, कंट्रास्ट की एक डोज दे दी। बच्ची के पिता का आरोप है कि इंजेक्शन देने के बाद बच्ची का सिर लुढ़क गया। कर्मचारियों ने कहा कि वह सो गई है। अंदर लेकर चले गए। दो घंटे तक उसे अंदर लिटाए रहे। कुछ देर के लिए बाहर निकाला और कहा कि इंजेक्शन देना होगा। करीब 12 बजकर 20 मिनट पर उन्होंने बच्ची को निकाला। स्ट्रेचर पर बच्ची लुढ़की हुई थी। कर्मचारियों से पूछा कि बच्ची की हालत कैसी हो रही है बताया कि वह सो रही है। अभी ठीक हो जाएगी लेकिन बेटी ने आंख नहीं खोला। घर वाले सेंटर पर ही रोने पीटने लगे। पुलिस आई लेकिन लोगों ने परिजनों को धमकाकर बाहर निकाल दिया। घबराए लोग बच्ची को लेकर बाल रोग अस्पताल गए जहां मृत घोषित कर दिया गया। चांद बाबू ने प्रमुख अधीक्षक कार्यालय में शिकायत की है। प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि यह गम्भीर प्रकरण है, संबंधित को नोटिस जारी किया जाएगा। डायग्नोस्टिक सेंटर की मैनेजर पूनम पाण्डेय का कहना है कि बच्ची पहले से ही सीरियस थी। उसे मानकों के मुताबिक इंजेक्शन की डोज दी गई है। ओवरडोज नहीं दिया गया है।


कर्मचारी देते हैं बेहोशी का इंजेक्शन, एक भी डॉक्टर नहीं
सेंटर पर सभी मरीजों को कर्मचारी ही बेहोशी का इंजेक्शन देते हैं। दरअसल बच्चों को सुस्त करने और उन्हें नींद में लाने के लिए फेनारगन और फोर्टविन का इंजेक्शन दिया जाता है। यह इंजेक्शन एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की देखरेख में दिया जाना चाहिए लेकिन मगर कर्मचारी इंजेक्शन दे रहे हैं। 

डेढ़ साल से बगैर लाइसेंस चल रहा एमआरआई सेंटर
एपी लाइफलाइन डायग्नोस्टिक सेंटर बिना किसी अनुमति के चल रहा है। डेढ़ वर्ष पूर्व एमआरआई का लाइसेंस खत्म हो चुका है। वह रिन्यूवल नहीं हुआ है। अस्पताल की ओर से कई बार नोटिस दी गई मगर एमआरआई हो रही है। न तो यहां डॉक्टर है और प्रशिक्षित स्टाफ है। रिपोर्टिंग भी दिल्ली से कराई जा रही है। अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक नोटिस दी जाएगी।

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