बोले कानपुर :: दुनिया का बोझ हम उठाते हैं.. आप क्यों भूल जाते हैं
Kanpur News - कुलियों का जीवन कठिनाइयों से भरा है। कानपुर सेंट्रल पर काम करने वाले कुलियों ने स्वास्थ्य, रोजगार और उचित सुविधाओं की कमी की समस्याओं को साझा किया। आधुनिकीकरण ने उनकी आजीविका को प्रभावित किया है। वे...
कुली! यह पदनाम जुबां पर आते ही जेहन में वर्ष 1983 में बनी फिल्म ‘कुली और इसका किरदार निभाने वाले अमिताभ बच्चन का चेहरा कौंधने लगता है। यूं तो वर्ष 1995 में रिलीज हुई गोविंदा की ‘कुली नंबर 1 और वर्ष 2000 में आई मिथुन चक्रवर्ती की ‘बिल्ला नंबर 786 भी कुलियों के जीवन से ही संबंधित थी मगर लोगों पर सबसे ज्यादा छाप ‘कुली ने ही छोड़ी जो ब्लॉक बस्टर साबित हुई पर वास्तविक जीवन में शायद ही किसी यात्री ने कुलियों का दर्द जानने की कोशिश की हो। कानपुर सेंट्रल पर यात्रियों का बोझ उठाने का किरदार कुली आज भी शिद्दत से निभा रहे हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से कुलियों ने अपना दर्द साझा किया। बयालिस साल पहले रिलीज हुई फिल्म कुली का यह गाना आज भी उनके लिए कमोबेश प्रासंगिक है- ‘सारी दुनियां का बोझ हम उठाते हैं, लोग आते हैं लोग जाते हैं, हम यहीं पे खड़े रह जाते हैं। हकीकत यह है कि चार दशक में कुलियों के जीवन में कुछ तो बदलाव आया मगर बहुत कुछ की अभी भी दरकार है। बड़ी समस्याओं की बात तो छोड़िए, इनके लिए बने एक टिन शेड में न तो पंखा है और न ही इसे घेरा गया है। बरसात में कुली पानी की फुहारें झेलते हैं। सर्दियों में कांपते हैं। गर्मियों में टिन शेड के साथ ये भी तपते हैं। रेलवे कुली यूनियन के अध्यक्ष त्रिलोकी नाथ और महामंत्री रामजन्म यादव कहते हैं कि कैंट साइड दो नंबर गेट के पास आराम करने के लिए टिन शेड तो बना है पर गर्मी में वहां बैठना दूभर हो जाएगा। कूलर की बात तो दूर एक पंखा भी नहीं है। वह कहते हैं ‘हम लोगों ने अफसरों से कई बार कहा कि हमारे कुली भी थक जाते हैं, थोड़ी हवा ही खिला दीजिए। मगर इतनी छोटी सी मांग पूरी नहीं हो सकी। कुली इरफान और आरबी यादव ने कहा प्लेटफार्म पर कुलियों के ड्यूटी करने का रोस्टर बना दें ताकि सबके हाथ में रोजगार रहे। कई बार तो एक समय पर कुलियों की प्लेटफार्म पर भरमार होती है तो कुछ चतुर लोग सारा काम हथिया लेते हैं। रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी होगी तो सभी को काम बराबर मिलता रहेगा।
आधुनिकीकरण से दो जून की रोटी का संकट : कुली गनेश पाल और वसीम कहते हैं कि आधुनिकीकरण ने दो जून की रोटी के लिए भी संकट खड़ा कर दिया है। परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो चुका है। पूर्व की तरह कुलियों को नौकरी मिल जाएं तो उनके परिवार का पालन-पोषण होता रहेगा। पहले की तरह अब अधिकारी या पुलिस अफसर तंग नहीं करते हैं फिर भी कई तरह की समस्याओं से उन्हें हर समय दो-चार होना पड़ता है। कुली इरफान अली और जितेंद्र बोले कि रेलवे ने हेल्थ कार्ड तो बनाया है पर परिवार को इलाज नहीं मिल पा रहा है। रेलवे ने परिवार को अलग से हेल्थ कार्ड जारी नहीं किया है तो लोको अस्पताल में परिवार को इलाज नहीं मिल पाता। रेलवे कार्ड मैनुअल बना दे तो समस्या का समाधान हो जाएगा।
बीवी-बच्चों का भी हेल्थ कार्ड बनवा दें हुजूर : कुली फूलचंद्र और अनीस बोले कि जब रेलवे साल में दो बार स्लीपर का यात्रा पास परिवार को मुहैया कराता है तो इलाज के लिए भी बीवी-बच्चों का भी अलग से मैनुअल हेल्थ कार्ड भी बनवा सकता है। अगर ऐसा हो जाए बीवी-बच्चों भी अस्पताल में इलाज हो सकेगा। इख्तियार और गोविंद ने बताया रेलवे पूर्व की तरह या तो नौकरी दे या फिर साथियों के बिल्ले हस्तांतरण को लटके हैं, उनका निस्तारण करा दें।
सामान ढोने को जब हम हैं तो गोल्फ कार्ट क्यों : सेंट्रल स्टेशन के कैंट साइड समूह में मौजूद कुली जितेंद्र बोल पड़े कि रेलवे ने बोझ ढोने का जब लाइसेंस दे रखा है तो स्टेशन पर लगेज ढोने के लिए गोल्फ कार्ट की सुविधा क्यों शुरू की गई? इसका इस्तेमाल केवल दिव्यांग, बुजुर्ग और मजबूर यात्रियों को इधर से उधर प्लेटफार्म पर ले जाने के लिए होना था, न कि सामान लादने के लिए। अब इसका बेजा इस्तेमाल हो रहा हैै। पिछले दिनों गोल्फ कार्ट रेलवे ट्रैक पर जाकर गिर गई थी तो गनीमत थी कि उस समय कोई ट्रेन नहीं आई वरना बड़ा हादसा हो जाता।
सुझाव
1. कुलियों को सरकुलेटिंग एरिया में ही विश्रामालय बनवाना चाहिए ताकि वे लोग आराम के साथ काम भी कर सकें।
2. रेलवे के लाइसेंसधारी कुली है तो उनको भी रेल कर्मचारी मान उसी हिसाब से बराबर की सुविधाएं दी जाएं।
3. कुलियों के बिल्ला हस्तांतरण के लंबित सभी प्रत्यावेदनों का निस्तारण जल्द से जल्द करना जनहित में होगा।
4. कुलियों के स्वास्थ्य का समय-समय पर परीक्षण भी कराया जाना चाहिए ताकि उनको पता रहे कि वह किस बीमारी की चपेट में आने वाले हैं।
5. कुली के परिवार के सभी पात्र लोगों को उपचार की सुविधा प्रदत्त होनी चाहिए ताकि वे परिवार का इलाज करा सके।
समस्याएं
1. कुलियों को सर्दी-गर्मी के अलावा बारिश के मौसम में रेन कोट देने की व्यवस्था हो ताकि वह भीगने से बच सकें।
2. कुलियों के बिल्ला हस्तांतरण में पारिवारिक बाध्यता लागू कानून हित में खत्म किया जाए, इससे दिक्कतें और बढ़ी हैं।
3. कुलियों को समय पर वर्दी मिले तो उन्हें सर्दी में राहत मिलेगी। कई बार ऐसा होता है जब गर्मी खत्म हो जाती तब वर्दी मिलती है।
4. तीन के बजाय साल में चार वर्दी दी जाए। दो गर्मी की और दो सर्दी की ताकिएक वर्दी गंदी हो उसे धोकर दूसरी पहन लें।
5. कुलियों को रेलवे पास की तरह पूरे परिवार को चिकित्सा वाला कार्ड अलग-अलग रेलवे कर्मचारियों की तरह जारी हो।
बोले कुली
पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में कुलियों को चतुर्थ श्रेणी की नौकरी रेलवे में दी गई थी। जो कुली बुजुर्ग थे तो उनके परिवार में किसी न किसी को नौकरी मिली थी। यह सुविधा फिर शुरू हो।
-राम जनम यादव, कुली यूनियन महामंत्री
कैंट साइड गेट नंबर दो के बगल में शेड तो बना है पर वहां पर धूल के थपेड़ों से बचने का कोई इंतजाम नहीं है। शेड में पंखे भी नहीं लगे हैं। मजबूरी में यहां बैठकर सवारियों का इंतजार
क रते हैं।
-शाह मोहम्मद, कुली
कुलियों की सबसे बड़ी समस्या रोजी-रोटी की है। आधुनिकीकरण से कुलियों की कमाई आधी से कम हो गई है। इसकी वजह साफ है कि अब एस्केलेटर से यात्री चले जाते हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
-अनिरुद्ध तिवारी,कुली
कुलियों को साल में चार वर्दी मिलती है पर कई बार समय पर नहीं मिल पाती है। ऐसी व्यवस्था बन जाए कि उनको नियमित रूप से तय समय पर वर्दी मिला करे, जिससे उन्हें को दिक्कत न हो।
-पूर्ण चंद्र,कुली
कुलियों की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अधिकतर कुली रात के समय या फिर वीवीआईपी ट्रेनों के समय ड्यूटी करती है। रोस्टर के हिसाब से कुलियों की ड्यूटी तय हो, रेलवे प्रशासन को इस ओर ध्यान देना होगा।
-जग प्रसाद यादव,कुली
कुलियों के पास यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह जिसे चाहे उसे अपना बिल्ला हस्तांतरित कर दें। इसमें परिवार को ही बिल्ला हस्तांतरण की बाध्यता का नियम लागू न हो, जिससे कुलियों को राहत मिले।
-विनोद गुप्त,कुली
बोले जिम्मेदार
कुलियों की चाहे स्वास्थ्य की हो या फिर अन्य दूसरी कोई भी दिक्कत, कुली हित में सभी समस्याओं का निस्तारण कराएंगे। रही बात कुली के परिवार के लोगों की, जो चिकित्सा सुविधा के पात्र हैं, उनके इलाज के लिए अलग कार्ड बनवा दिया जाएगा।
-शशिकांत त्रिपाठी,सीपीआरओ, एनसीआर
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