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हॉस्पिटल में तोड़फोड़ के केस से क्षुब्ध युवक ने दे दी जान

डिलीवरी के दौरान पत्नी की मौत हो गई और कल्याणपुर पुलिस ने मेरे ही खिलाफ झूठा केस दर्ज कर दिया। इसलिए अब मैं भी जान दे रहा हूं। बिठूर में बुधवार को युवक ने खुदकुशी से पहले मोबाइल से वीडियो बनाकर अपनी...

हॉस्पिटल में तोड़फोड़ के केस से क्षुब्ध युवक ने दे दी जान
हिन्दुस्तान संवाद,बिठूर Thu, 23 Jan 2020 01:31 AM
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डिलीवरी के दौरान पत्नी की मौत हो गई और कल्याणपुर पुलिस ने मेरे ही खिलाफ झूठा केस दर्ज कर दिया। इसलिए अब मैं भी जान दे रहा हूं। बिठूर में बुधवार को युवक ने खुदकुशी से पहले मोबाइल से वीडियो बनाकर अपनी और पत्नी की मौत का जिम्मेदार कल्याणपुर की एक हॉस्पिटल संचालिका को बताते हुए सुसाइड नोट लिख आंगन में फांसी लगा ली।


नसेनियां गांव निवासी वीरेंद्र गौतम उर्फ झब्बू (30) ने पत्नी रेखा को एक नवंबर को कल्याणपुर स्थित एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। आपरेशन से बेटी हुई थी। बड़े भाई विजय कुमार के मुताबिक डिलीवरी के बाद हालत बिगड़ने पर हॉस्पिटल प्रबंधन ने रेखा को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया। इलाज के दौरान रेखा की मौत हो गई। 


बताया जा रहा है कि नाराज परिजनों ने हॉस्पिटल में तोड़फोड़ की थी। इस पर हॉस्पिटल प्रबंधन ने वीरेंद्र व परिजनों पर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी। वहीं, हॉस्पिटल संचालिका के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के वीरेंद्र अधिकारियों के चक्कर लगा रहा था। इस दौरान उसे फोन पर तहरीर वापस लेने को धमकियां भी मिल रही थीं। हारकर उसने हाईकोर्ट से मुकदमा दर्ज कराने को 4 दिन पहले एक वकील को एडवांस के रूप में 10 हजार रुपए दिए थे। पिता दुर्गाप्रसाद का कहना है कि पत्नी की मौत व झूठा केस दर्ज होने से वीरेंद्र परेशान चल रहा था। 


मंगलवार दोपहर बहन रानी पड़ोस में कहीं गई थी इस दौरान वीरेंद्र ने फांसी लगा ली उसने मोबाइल मिलाया तो नहीं उठा। इस पर परिजन पड़ोस के घर से सीढ़ी लगाकर घर के अंदर गए जहा आंगन  के लोहे के जाल में उसका  सहारे लटक रहा था। ससुर ठाकुर प्रसाद ने बताया कि अगर कल्याणपुर पुलिस उसकी तहरीर पर हॉस्पिटल संचालिका के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लेती तो शायद वीरेंद्र जान न देता।  

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