दुनिया में फैली दलहन की 70 फीसदी प्रजातियां कानपुर की
कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) ने बताया कि दुनिया में पैदा हो रही दलहन की 70 फीसदी प्रजातियां यहाँ विकसित की गई हैं। संस्थान ने काबुली चना के एक्सपोर्ट और कृषि में तकनीकी उन्नति...
कानपुर, प्रमुख संवाददाता। दुनिया में पैदा हो रही दलहन की फसलों में 70 फीसदी प्रजातियां कानपुर की हैं। ये सभी प्रजातियां कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) में विकसित की गई हैं। यह बात संस्थान के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने कही। कहा, उन्नत प्रजातियों की बदौलत भारत वर्तमान में काबुली चना को एक्सपोर्ट करने की स्थिति में है। वैज्ञानिकों ने कम लागत वाली तकनीक विकसित कर किसानों को मजबूत किया है। मिनी दाल और तकनीक को और अपग्रेड किया है। वर्ष 2030 तक अपेक्षित लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। आईआईपीआर में गुरुवार को 32वां स्थापना दिवस मनाया गया। शुभारंभ मुख्य अतिथि एचबीटीयू के कुलपति प्रो. समशेर, विशिष्ट अतिथि दक्षिण एशिया और चीन (इकार्डा) के समन्वयक डॉ. शिव कुमार, अटारी के निदेशक डॉ. शांतनु कुमार दुबे व संस्थान के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने किया। प्रो. समशेर ने कहा कि संस्थान दलहन के अनुसंधान कार्यों से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कुपोषण, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं को लेकर किसानों के साथ कृषि और तकनीकी वैज्ञानिक को साथ काम करने की आवश्यकता है। डॉ. शिव कुमार ने कहा कि वैज्ञानिकों की मेहनत से देश में 14 से 26 मिलियन टन दलहन की पैदावार हो रही है। मूंग की वैरायटी विराट पूरे देश में पसंद की जा रही है। सरकार ने रिसर्च के लिए तीन हजार करोड़ रुपये आवंटित किया है। डॉ. शांतनु कुमार दुबे ने कहा कि किसानों की समस्या को देखकर वैज्ञानिकों को रिसर्च कर समाधान करना चाहिए। कार्यक्रम में आईआईपीआर एट ए ग्लांस और टेक्निकल बुलेटिन-कन्सेर्वसन एग्रीकल्चर इन पल्स-बेस्ड क्रॉपिंग सिस्टम्स और हिन्दी बुलेटिन दलहनी फसलों में गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन प्रौद्योगिकी का विमोचन किया गया।
खेती उपकरण को अत्याधुनिक बनाएगा एचबीटीयू
आईआईपीआर के स्थापना दिवस समारोह में निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने एचबीटीयू के कुलपति प्रो. समशेर के साथ एक समझौता किया। इसके तहत फूड प्रोसेसिंग को लेकर दोनों संस्थान के वैज्ञानिक मिलकर काम करेंगे। किसानों को आने वाली दिक्कतों को आईआईपीआर के वैज्ञानिक एचबीटीयू के प्रोफेसरों संग साझा करेंगे और अत्याधुनिक उपकरण विकसित करेंगे। आईआईपीआर के विकसित उपकरण को भी एचबीटीयू अत्याधुनिक बनाएगा। एचबीटीयू के छात्रों की रिसर्च और शिक्षा में मदद की जाएगी। दोनों संस्थान बुआई से कटाई तक किसानों के काम को आसान बनाने का काम करेंगे।
इन वैज्ञानिकों का हुआ सम्मानित
-डॉ. योगेश कुमार, प्रधान वैज्ञानिक (वरिष्ठ श्रेणी-उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार)
-डॉ. केके हाजरा, वरिष्ठ वैज्ञानिक (युवा श्रेणी-उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार))
-मलखान सिंह ( उत्कृष्ट तकनीकी अधिकारी अवार्ड)
-हरगोविंद राठौर (उत्कृष्ट प्रशासनिक वर्ग अवार्ड)
-डॉ. आरके मिश्रा एवं टीम (शोध के लिए अवार्ड)
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।