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गौरवः पहली बार कानपुर में होगा परमवीर चक्र विजेता बटालियन का शौर्य प्रदर्शन

सबसे युवा परमवीर चक्र विजेता बटालियन ‘14वीं बटालियन ऑफ द गार्ड्स अपना स्वर्ण जयंती समारोह कानपुर की धरती पर मनाएगी। 12 से 14 जनवरी तक चलने वाले विभिन्न समारोह का शुभारंभ अति विशिष्ट सेवा मेडल...

गौरवः पहली बार कानपुर में होगा परमवीर चक्र विजेता बटालियन का शौर्य प्रदर्शन
हिन्दुस्तान टीम,कानपुरTue, 09 Jan 2018 01:57 AM
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सबसे युवा परमवीर चक्र विजेता बटालियन ‘14वीं बटालियन ऑफ द गार्ड्स अपना स्वर्ण जयंती समारोह कानपुर की धरती पर मनाएगी। 12 से 14 जनवरी तक चलने वाले विभिन्न समारोह का शुभारंभ अति विशिष्ट सेवा मेडल जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पश्चिमी कमान लेफ्टिनेंट जनरल सुरेन्द्र सिंह करेंगे। इस अवसर पर परमवीर चक्र विजेता स्वर्गीय लांस नायक एलबर्ट एक्का की पत्नी बालमदीना एक्का सहित बटालियन के शहीदों की वीर पत्नियों का सम्मान और बख्तरबंद वाहनों का प्रदर्शन किया जाएगा।
इस संबंध में कैंट स्थित बटालियन ग्राउंड पर बताया गया कि 12 जनवरी को समारोह परेड होगी। परेड में पैदल मार्चिंग सैनिक टुकड़ियां, बख्तरबंद गाड़ियां और माउंट व्हीकल्स दस्ते आकर्षण का प्रमुख केंद्र होंगे। ये दस्ते आधुनिक युद्ध परिवेश में एक मैकेनाइज्ड बटालियन की ऑपरेशन कार्यकुशलता का प्रदर्शन करेंगे। 13 जनवरी को परमवीर चक्र विजेता की पत्नी सहित 22 वीर नारियों का सम्मान किया जाएगा। 14 जनवरी को डॉग शो का आयोजन किया जाएगा। कानपुर स्थित इस बटालियन में करीब 60 बख्तरबंद वाहन हैं। ये समारोह पूरे देश में केवल कानपुर में आयोजित किया जा रहा है।
अदम्य साहस से भरी बटालियन
14वीं बटालियन ऑफ द गार्ड्स का भारतीय सेना में विशेष स्थान है। इस बटालियन का गठन मुख्यत: पूर्वोत्तर सीमाओं की रक्षा के लिए किया गया था। 13 जनवरी 1968 को गठित इस बटालियन ने पूर्वोत्तर से लेकर भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस का परिचय दिया। 1971 में भारत-पाक की जंग के दौरान 3-4 दिसम्बर की रात इसी बटालियन के लांस नायक एलबर्ट एक्का ने पाकिस्तानी फौज के छक्के छुड़ा दिए थे। उनकी वीरता के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया और 14वीं बटालियन को ‘सबसे युवा परमवीर चक्र विजेता बटालियन का खिताब दिया गया। 1975 में पीएसी में हुए विद्रोह पर नियंत्रण पाने के लिए इसी बटालियन की सेवाएं ली गई थीं। 1994 में इसी बटालियन ने सियाचीन की दुर्गम सीमाओं में अपने साहस का परिचय दिया। 1996 में 14वीं बटालियन बख्तरबंद गाड़ियों की सेना बनी और पूर्वोत्तर और पश्चिमी सीमाओं में रक्षा की कमान सौंपी गई। वर्ष 2016 में बटालियन को उत्तरी सिक्किम के अति ऊंचाई वाले इलाकों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘पूर्वी सेना सेनाध्यक्ष-प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया गया।

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