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पिंडदान, तर्पण संग पितृपक्ष का समापन आज, कल से अधिकमास का आगाज

श्राद्ध पक्ष का समापन गुरुवार को अमावस्या के साथ होगा। अंतिम दिन पितरों को तर्पण करने के लिए बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पहुंचेंगे तो कुछ अपने घरों पर ही जल से पितरों का तर्पण करेंगे। हालांकि श्राद्ध...

श्राद्ध पक्ष का समापन गुरुवार को अमावस्या के साथ होगा। अंतिम दिन पितरों को तर्पण करने के लिए बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पहुंचेंगे तो कुछ अपने घरों पर ही जल से पितरों का तर्पण करेंगे। हालांकि श्राद्ध...
1/ 2श्राद्ध पक्ष का समापन गुरुवार को अमावस्या के साथ होगा। अंतिम दिन पितरों को तर्पण करने के लिए बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पहुंचेंगे तो कुछ अपने घरों पर ही जल से पितरों का तर्पण करेंगे। हालांकि श्राद्ध...
श्राद्ध पक्ष का समापन गुरुवार को अमावस्या के साथ होगा। अंतिम दिन पितरों को तर्पण करने के लिए बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पहुंचेंगे तो कुछ अपने घरों पर ही जल से पितरों का तर्पण करेंगे। हालांकि श्राद्ध...
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हिन्दुस्तान टीम,कन्नौजWed, 16 Sep 2020 11:16 PM
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श्राद्ध पक्ष का समापन गुरुवार को अमावस्या के साथ होगा। अंतिम दिन पितरों को तर्पण करने के लिए बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पहुंचेंगे तो कुछ अपने घरों पर ही जल से पितरों का तर्पण करेंगे। हालांकि श्राद्ध पक्ष समापन के साथ ही शारदीय नवदुर्गा और शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते थे, लेकिन इस बार अधिकमास होने के कारण नवरात्र एक माह बाद शुरू होंगे।

दो सितंबर से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष में पितृ पक्ष को श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न करने का सिलसिला चला। गुरुवार को अमावस्या श्राद्ध के साथ पितरों को विदाई दी जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होती है और समापन आश्विन की अमावस्या पर होता है। 16 दिनों में पितरों का श्राद्ध कर तर्पण किया जाता है। इन दिनों में दान का भी बहुत महत्व है, मान्यता है कि दानपुण्य से पितरों की आत्मा को संतृष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म होता है। शास्त्रों के मुताबिक पितृपक्ष शुरू होने के साथ ही शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। पितृपक्ष के समापन के साथ ही शारदीय नवदुर्गा और शुभ कार्य प्रतिष्ठान का शुभारंभ, वाहन, मकान खरीद सहित शादी विवाह के मेल मिलाप शुरू हो जाते हैं। लेकिन इस बार अधिकमास होने के कारण एक महीने बाद शारदीय नवरात्र शुरू होंगे। गुरुवार को श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होने के कारण लोग गंगा तट पहुंचकर अपने नाम व गोत्र आदि का स्मरण कर पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ कर पितरों को तर्पण कर विदाई देंगे।

आश्विन में 19 साल बाद पड़ रहा अधिकमास

आचार्य शिवांग अग्निहोत्री बताते है कि अधिकमास पुरुषोत्तम माह पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भक्तिरस की गंगा बहती है। इस बार 19 वर्ष के बाद आश्विन के महीने में अधिकमास पड़ रहा है इसी वजह से नवरात्र में एक महीना विलंब है। यह महीना भगवान विष्णुजी की आराधना के लिए भी जाना जाता है। अन्य महीनों की अपेक्षा अधिकमास में पूजा-पाठ करने से 10 गुना अधिक फल मिलता है।

कल से 16 अक्तूबर तक रहेगा अधिकमास

आचार्य राकेश मिश्र बताते है कि अधिकमास 18 सितंबर से शुरू होगा। समापन 16 अक्तूबर को होगा। इस साल अधिक मास में 15 दिन शुभ योग रहेगा। अधिकमास में भगवान विष्णुजी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए इस पूरे समय में भगवान विष्णुजी की उपासना करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।

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