लॉकडाउन में जिला अस्पताल की ओपीडी 80 फीसदी घटी
कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया हैं। कोरोना के खौफ के चलते जिला अस्पताल में आउटडोर मरीजों की संख्या भारी कमी आई हैं। जहां पहले अस्पताल में 700-800 मरीज रोजाना इलाज के...
कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया हैं। कोरोना के खौफ के चलते जिला अस्पताल में आउटडोर मरीजों की संख्या भारी कमी आई हैं। जहां पहले अस्पताल में 700-800 मरीज रोजाना इलाज के लिए आते थे। वहीं अब बमुश्किल से मरीजों की संख्या 150 तक पहुंच रही हैं। मरीजों की संख्या में कमी आने की वजह से ओपीडी में डॉक्टर भी नहीं बैठ रहे हैं। एक डॉक्टर के सहारे ही ओपीडी चलाई जा रही हैं। अधिकांश मरीज मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदकर काम चला रहे हैं।
जिला अस्पताल में लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 800 से अधिक मरीज अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते थे। जिसमें सबसे अधिक मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या रहती थी। लेकिन कोरोना के बाद से लोगों को संक्रमण का खतरा सताने लगा हैं। आलम यह है कि मरीज अपनी दूसरी बीमारियों का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल का रुख नहीं कर रहे हैं।
मरीजों के लिए ओपीडी खोल दी गई हैं। इन दिनों सिर्फ 130-150 मरीज ही दवा लेने के लिए अस्पताल का रुख कर रहे हैं। मरीजों के न होने की वजह से ओपीडी खाली दिखाई पड़ती हैं। मरीजों के न आने की वजह से ओपीडी में अधिकांश डॉक्टरों के कक्षों के बाहर ताला लटकता रहता हैं। सिर्फ एक ही डॉक्टर ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डॉ. रवींद्र साहू ने बताया कि कोरोना के चलते ओपीडी में मरीजों की संख्या में खासी कमी आई है। गंभीर स्थिति होने पर ही मरीज अस्पताल पहुंच रहा हैं।
रैबीज इंजेक्शन लगवाने वाले मरीजों की बढ़ी संख्या
इन दिनों जिला अस्पताल में मौसमी बीमारियों की अपेक्षा डॉग बाइट के केस अधिक आ रहे हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों में आधे से ज्यादा मरीज रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल पहुंच रहा हैं। मरीजों को अस्पताल में प्रवेश देने से पहले उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाती हैं। इसके बाद ही मरीजों को ओपीडी में जाने की इजाजत दी जाती हैं।
