इत्रनगरी में ही पड़ गया था सियासत की खिचड़ी में गठबंधन का तड़का
सूबे की राजधानी में शनिवार को देश की सियासत में बड़े बदलाव के नजारा देखने से एक दिन पहले ही इत्रनगरी में उसकी इबारत दिख गई थी। बसपा संग सपा के गठबंधन की चर्चाओं का औपचारिक ऐलान शनिवार को हुआ, लेकिन...
सूबे की राजधानी में शनिवार को देश की सियासत में बड़े बदलाव के नजारा देखने से एक दिन पहले ही इत्रनगरी में उसकी इबारत दिख गई थी। बसपा संग सपा के गठबंधन की चर्चाओं का औपचारिक ऐलान शनिवार को हुआ, लेकिन उसकी नजीर एक दिन पहले ही यहां हुए अखिलेश यादव के टवीटर चौपाल में दिख गई थी। अब जबकि सपा और बसपा के गठबंधन का ऐलान हो चुका है तो नई करवट लेती सियासत को लेकर कई तरह के चर्चे शुरू हो गए हैं।
सूबे की सियासत की दो धूर विरोधी सियासी जमात समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का तालमेल हो गया है, दोनों ही पार्टियों ने एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का बाकायदा ऐलान कर दिया है। इस पर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। हालांकि इस गठबंधन की चर्चा काफी समय से थी। गोरखपुर-फूलपुर में हुए उपचुनाव में ही इसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। नए साल के शुरू में ही दोनों पार्टी के बड़े नेताओं की मुलाकात की खबरें भी आईं, लेकिन कहीं कोई तस्दीक नहीं हुई। ऐसे में शनिवार को दोनों पार्टियों के ऐलान से ठीक एक दिन पहले कन्नौज संसदीय सीट के फकीरपुरवा गांव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से आयोजित ट्वीटर चौपाल की एक होर्डिंग इस नए रिश्ते की गवाही दे रही थी। चौपाल के पास कन्नौज की सांसद डिम्पल यादव की बड़ी होर्डिंग में समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया और बहुजन समाज पार्टी के आर्दश डॉ. बीआर अम्बेडकर की एक साथ लगी तस्वीर लोगों का ध्यान खींच रही थी। यह पहली बार था कि सपा के शीर्ष नेताओं की होर्डिंग में ऐसा देखने को मिला हो।
कन्नौज में सपा की दावेदारी
अब जबकि दोनों पार्टियों में गठबंधन हो गया है तो ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि कन्नौज संसदीय सीट पर सपा के खाते में आएगी। समाजवादी गढ़ रही इस सीट पर पिछले आठ चुनाव में सपा की लगातार सात जीत और खुद सपा मुखिया और उनके परिवार के सांसद होने से इस दावेदारी को मजबूती भी मिल रही है।
पिछला सात चुनाव जीती सपा, बसपा एक भी नहीं
1998: सपा को पहली बार जीत मिली, पार्टी उम्मीदवार प्रदीप यादव ने भाजपा सांसद मुन्नू बाबू को शिकस्त दी
1999: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने लोकतांत्रिक कांग्रेस के अरविंद प्रताप सिंह को हराया
2000: मुलायम सिंह के इस्तीफा से खाली हुई सीट पर उपचुनाव में अखिलेश यादव पहली बार लड़े और बसपा के अकबर अहमद डम्पी को शिकस्त दी
2004: सपा उम्मीदवार अखिलेश यादव ने बसपा के राजेश सिंह को शिकस्त दी
2009: अखिलेश यादव ने बसपा के डॉ. महेश वर्मा को हराकर जीत की हैट्रिक लगाई
2012: अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री बनने से इस्तीफा दिया, उपचुनाव में उनकी पत्नी डिम्पल यादव निर्विरोध चुनाव जीतीं
2014: डिम्पल यादव ने कांटे के मुकाबले में भाजपा के सुब्रत पाठक को शिकस्त देकर सीट बरकरार रखी