ऑक्सीजन हटाने और लगाने में संकट में फंस जाते स्वास्थ्यकर्मी
ऑक्सीजन हटाने और लगाने में संकट में फंस जाते स्वास्थ्यकर्मी-ऑक्सीजन की किल्लत से नहीं उभर पा रहा सौ शैैय्या अस्पताल-कमी के चलते नहीं चालू हो पा रही...

छिबरामऊ। हिन्दुस्तान संवाद
अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के लाख प्रयास और जद्दोजहद के बाद भी सौ शैय्या अस्पताल ऑक्सीजन की किल्लत से नहीं उभर पा रहा है। हालत यह है कि किसकी हटाए और किसको लगाएं वाली समस्या स्वास्थ्यकर्मियों के सामने खड़ी हो जाती है।
ऑक्सीजन की कमी के चलते सोमवार रात कई मरीजों की मौत तक हो गई। हालत यह है कि मरीजों की बढ़ती संख्या के सापेक्ष अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरों का टोटा पड़ा हुआ है। कमी के कारण ही अस्पताल में पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई चालू नहीं हो पा रही है।
दिलू नगला गांव स्थित सौ शैय्या अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की क्षेत्र के लोगों में काफी उम्मीदें रहती हैं, लेकिन वर्तमान समय में जब कोई अपना मरीज लेकर अस्पताल पहुंचता है, तो उसकी सारी उम्मीदों पर पानी ही फिर जाता है। अस्पताल की हालत यह है कि यहां पहुंचने वाले मरीजों को ऑक्सीजन तक जल्दी नसीब नहीं हो पाती है। इस समय अस्पताल में सबसे ज्यादा सांस उखडऩे वाले रोग से पीडि़त मरीज पहुंच रहे हैं, लेकिन इन मरीजों को ऑक्सीजन न होने के कारण उन्हें यहां से रेफर ही किया जा रहा है।
पाइपलाइन सप्लाई से चालू हो ऑक्सीजन तो कम हो परेशानी
चिकित्साधिकारियों के मुताबिक अस्पताल में सिर्फ 1-2 सिलेंडर और दो कंसंट्रेटरों से मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है, लेकिन वर्तमान समय में अधिक संख्या में सांस रोग से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के सामने किसको लगाएं और किसकी हटाए ऑक्सीजन वाली समस्या पैदा हो जाती है। जरा सी चूक पर ही मरीजों की जान पर बन आती है। ऑक्सीजन की कमी के चलते ही मरीजों को रेफर करना मजबूरी बना हुआ है। यदि अस्पताल को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध हो जाए और पाइपलाइन के जरिए सभी वार्डों में ऑक्सीजन सप्लाई चालू हो जाए, तो शायद ही मरीजों को बेहतर इलाज यहीं पर ही मिल सकता है।
ऑक्सीजन हटाने पर भड़क उठते हैं तीमारदार
सौ शैय्या अस्पताल में भर्ती कई मरीजों को आक्सीजन लगी हुई है। हालत यह है कि यदि इसी दौरान कोई दूसरा गंभीर मरीज पहुंचता है, तो उसे ऑक्सीजन लगाने के लिए दूसरे मरीज की ऑक्सीजन हटानी पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज के तीमारदार भड़क उठते हैं। यहां तक की उनसे कहासुनी तक हो जाती है।
