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माघ पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर हुई गंगा आरती, उमड़े श्रद्धालु

माघ पूर्णिमा की पूर्व संध्या मेहंदीघाट पर गंगा आरती का आयोजन हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति की ओर से हुए आयोजन के बाद समिति पदाधिकारियों ने...

माघ पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर हुई गंगा आरती, उमड़े श्रद्धालु
हिन्दुस्तान टीम,कन्नौजSat, 08 Feb 2020 11:13 PM
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माघ पूर्णिमा की पूर्व संध्या मेहंदीघाट पर गंगा आरती का आयोजन हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति की ओर से हुए आयोजन के बाद समिति पदाधिकारियों ने घाट की अनदेखी पर सरकार पर आरोप जड़े।

गंगा आरती के दौरान समिति अध्यक्ष नवाब सिंह यादव ने कहा कि सभी लोग गंगा मैया को गंदा न करने का संकल्प लें, तभी सुधार आएगा। किसी तरह की गंदगी व पॉलिथीन न डालें। इस दौरान कलाकारों ने नृत्य व कई कार्यक्रम पेश किए। गंगा मैया की महाआरती में भारी भीड़ उमड़ी। समिति के अध्यक्ष नवाब सिंह यादव ने कहा कि सरकार की तरफ से गंगा मैया के लिए करोड़ों रुपए जारी किए गए लेकिन भ्रष्टाचार से ग्रसित लोगों ने पतित पावन गंगाजी को ठगने का काम किया है। इस मौके पर दिलीप गुप्त, पूर्व विधायक कलियान सिंह दोहरे, गुड्डू सक्सेना, श्रीनिवास तिवारी, अनुराग मिश्र, विनय पाण्डेय, दरोगा कटियार, लालजी कटियार, संजय कुमार, ब्लॉक प्रमुख उमाशंकर बेरिया, टिल्लू दुबे, संजीव मिश्र, देवराज यादव, कल्लू शर्मा, हरिओम तिवारी, हरिपाल राजपूत आदि रहे।

पूर्णिमा आज, अफसरों ने देखे हालात

माघ पूर्णिमा पर होने वाले स्नान से पहले शनिवार को मेहंदीघाट पहुंचकर एसडीएम सदर शैलेष कुमार, एएसपी विनोद कुमार व इंस्पेक्टर विनोद मिश्र समेत कई अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। बेरीकेडिंग, सफाई व सुरक्षा को लेकर निरीक्षण कर निर्देश दिए गए।

माघी को ही रखी जाती थी होली: विराम

साहित्यकार प्रो. रमेश तिवारी ‘विराम बताते हैं कि कान्यकुब्ज क्षेत्र में माघ पूर्णिमा यानि माघी के ही दिन होली रखी जाती थी। करीब पांच दशक पहले युवक घर-घर जाकर होली के लिए लकड़ियां मांगते थे। साथ में होलिका और प्रहलाद के चरित्रों का वर्णन करते हुए गीत भी गाते थे। महाकवि रविदास रैदास की जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। प्रो. तिवारी बताते हैं कि सम्राट हर्ष के राजकवि वाणभट्ट ने हर्षचरित में लिखा है कि माघी पूर्णिमा सेही मदनोत्सव शुरू हो जाता है। गांव-गांव चौपालें होती हैं। होली पर लोकगीत भी गाए जाते थे।

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